चार मनरेगा मजदूरों ने भोपा की हत्या की, तीन से पुरानी रंजिश थी, चौथा दोस्ती की खातिर मर्डर में शामिल हुआ; 21 दिन बाद खुली मर्डर मिस्ट्री


जानवरों का जड़ी-बूटी से इलाज करने वाला भोपा इलाज के नाम पर महिलाओं से बनाता था संबंध


डूंगरपुर. (सिद्धार्थ शाह)। जिले के सुरों का तालाब गांव के भोपा (जड़ी-बूटी से इलाज करने वाला) की हत्या मामले में 21 दिन बाद मर्डर मिस्ट्री खुल गई। प्रौढ़ की हत्या करने के मामले में चार आरोपी थे। चारों आरोपी की भोपा अमरा से दुश्मनी थी। एक ने अपने पिता की हत्या का बदला लेने, दूसरे ने दोस्ती में धोखा देने के चलते, तीसरे आरोपी ने पत्नी की बीमारी को जड़ से मिटाने के नाम पर संबंध बनाने के चलते दुश्मनी थी। चौथा दोस्ती निभाने के लिए शामिल हो गया। भोपा इलाज के नाम पर महिलाओं से संबंध बनाता था। चारों ने साजिश कर प्रौढ़ की हत्या कर दी और फिर सबूत नष्ट किए। रामसागड़ा पुलिस ने इस पूरे मामले का अब खुलासा शनिवार को किया। पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। हत्या के चार आरोपियों में तीन मनरेगा श्रमिक हैं।


थानाधिकारी अरुण कुमार खांट ने बताया कि एसपी जय यादव के निर्देशन में जांच शुरू की जिसमें पुरानी रंजिश सामने आई। भोपा का देवीलाल पुत्र डूंगर बरंडा से जमीन का विवाद चला आ रहा है। रैवा पुत्र हामजी भगोरा के घर पर रोज अमरा आता-जाता रहता था। जिस पर दोनों संदिग्धों को तलब कर थाने पर बुलाकर सख्ती से पूछताछ की। घटना के बारे में परिजनों से जानकारी ली। भोपा अपने पास मोबाइल नहीं रखता था। इसलिए परंपरागत पुलिसिंग के जरिए मामले का खुलासा किया। थानाधिकारी के नेतृत्व में वैंजा चौकी प्रभारी रघुवीर सिंह, हैड कांस्टेबल गजराज सिंह, खुशपाल सिंह, हेमेंद्र​ सिंह, गिरीश, मुकेश, कांस्टेबल मनोहरलाल व वैंजा चौकी स्टाफ ने आरोपियों को पकड़ने में सफलता हासिल की।


पांच मई को रची हत्या की साजिश, किसी को शक नहीं हो इसके लिए सबूत जला दिए


यह सभी आरोपी मनरेगा में काम करते थे और बातों-बातों में सामने आया कि सब अमरा से खफा है। आरोपियों ने मिलकर 5 मई को अमरा की हत्या करने की साजिश रची। अमरा के आने-जाने पर लगातार नजर रखी। 8 मई को शाम 4 बजे अमरा बंरडा अपने घर से जंगल की तरफ जाता देखा गया। इस पर रैवा को जानकारी दी कि अमरा देर शाम को तुम्हारे घर पर जरूर आएगा। आज उसकी हत्या करनी है। रात 8 बजे अमरा रैवा के घर पर आया। देवीलाल एवं अमरा रैवा के घर के पीछे बैठे हुए थे। रैवा प्रभु भगोरा को बुलाने उसके घर पर गया।


प्रभु भगोरा एवं रैवा वापस रैवा के घर पर आए। देवीलाल मुकेश को बुलाकर लाया। चारों ने मिलकर अमरा बरंडा के सिर पर धारदार हथियार से वार कर मार दिया। पकड़े जाने के डर से बोरा एवं प्लास्टिक के कट्टे, चद्दर को पास ही पहाड़ी पर जला कर सबूत नष्ट कर दिए। घटनास्थल से खून वाली मिट्टी को मोटर के पानी से मूंग की फसल के बीच में खेत में बहा दिया। इसके बाद चारों ने स्नान किया। प्रभु भगोरा, देवीलाल बंरडा एंव रेवजी भगोरा ने रेवजी के घर पर काली चाय बनाकर पी।


देवीलाल; पिता की हत्या का बदला लेना था
अमरा के बेटे हाजा व उसके साथी ने देवीलाल के पिता डूंगर लाल की 2013 में हत्या कर दी थी। हाजा बरंडा अभी जेल में है। देवीलाल अपने पिता डूंगर की हत्या का बदला लेना चाह रहा था। इसलिए काफी दिन से अमरा की हत्या करना चाह रहा था मगर मौका नहीं मिला। लॉकडाउन होने से गांव में रोजगार गांरटी का काम शुरू हुआ और अन्य दुश्मन को अमरा की हत्या के लिए राजी किया।


प्रभु; दोस्तों का दुश्मन था, इसलिए साथ दिया
प्रभु पुत्र हाजा बरंडा मनरेगा में काम करता है। देवीलाल पुत्र डूंगरलाल, रैवा पुत्र हामजी भगोरा भी काम करते थे। काम के दौरान तीनों में गहरी दोस्ती हो गई। इस पर देवीलाल ने रैवा एवं प्रभु को अमरा से बदला लेने की बात कही। इस पर प्रभु ने दोस्ती के नाते देवीलाल व रैवा का साथ दिया। हत्या करने में पूरा सहयोग किया।


रैवा; बहू से संबंध बनाए, इसलिए थी नाराजगी
रैवा को अमरा बंरडा का पत्नी के साथ उसके नाजायज संबंध होने का संदेह था। अमरा भोपा था। अमरा का रैवा के घर आना जाना था। रेवा की बहू बीमार रहती है। अमरा ने रैवा से कहा कि बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए हम बिस्तर करना पड़ेगा तो ही बीमारी जा सकती है। वह राजी भी हो गया, लेकिन बीमारी नहीं मिटी। अमरा ने इसके बाद कई बार संबंध बनाकर दोस्ती में धोखा दिया।


मुकेश; पत्नी बीमार थी, धोखे से बनाए संबंध
मुकेश भगोरा की पत्नी पिछले दो-तीन वर्ष से बीमार चल रही थी। वह ठीक नहीं हो रही थी। अमरा गांव में जानवरों का इलाज करने का काम करता था। इसका रैवा के घर आना जाना था। अमरा ने मुकेश की पत्नी की बीमार को ठीक करने के नाम पर संबंध बनाए। ठीक नहीं होने पर फिर से संबंध बनाए। तब से अमरा दुश्मन बन गया था। क्योंकि अमरा ने धोखा देकर गलत फायदा उठाया था।


यह था मामला


9 मई को सुरों का तालाब निवासी वीरेंद्र पुत्र अमरा बरंडा ने पुलिस को रिपोर्ट देकर बताया कि अमरा पुत्र भेमजी बरंडा 8 मई को शाम करीब 4 बजे जानवरों के इलाज के लिए जड़ी बूटी लेने जंगल की तरफ गए थे। देररात तक घर पर नहीं आने पर उनके मित्र रेवाजी व भाभी सुरता को फोन कर पता किया। रिश्तेदारों को फोन करने पर कुछ पता नहीं चला। 9 मई को बहन मनरेगा में काम करने गई थी। सुरों का तालाब बड़गवाला जंगल में शव मिलने की सूचना मिली। पिता अमरा बरंडा का शव दर्रे में पड़ा था। गले, सिर व कपाल पर गंभीर चोंट के निशान थे। इस पर मामला दर्ज किया।