मुंबई
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्य सरकार पर आरोप लगाए हैं कि वह केंद्र से मिली मदद को खर्च नहीं कर रही है। फडणवीस ने कहा कि हमें समझ में नहीं आता कि इस सरकार की प्राथमिकता क्या है। उद्धव जी को साहसी फैसला लेना चाहिए। देवेंद्र फडणवीस ने यह भी कहा कोई भी महाराष्ट्र सरकार को गिराने की कोशिश नहीं कर रहा है बल्कि अपने बोझ के कारण यह सरकार खुद ही गिर जाएगी।
दूसरी तरफ बीजेपी नेता नारायण राणे की ओर से राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग किए जाने के बाद से ही महाराष्ट्र में सियासी भूचाल आया हुआ है। महाराष्ट्र की राजनीति और राज्य की गठबंधन सरकार, दोनों ही तलवार की धार पर हैं। शुरुआत से ही गठबंधन सहयोगियों के बीच सबकुछ ठीक ना होने की खबरें आती हैं। फिर अचानक से महा विकास अघाड़ी के सदस्य कांग्रेस, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सामने आती हैं और सब सही होने की बात कहती हैं। ताजा घटनाक्रम में कई नेताओं की राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात के बाद सरकार के भविष्य पर सवाल उठने लगे। अब एनसीपी चीफ शरद पवार से लेकर गठबंधन के नेता दावा कर रहे हैं कि सरकार सुरक्षित है।
'समझ नहीं आता महाराष्ट्र सरकार की प्राथमिकता क्या है'
देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। पूर्व सीएम फडणवीस ने मंगलवार को कहा, 'महाराष्ट्र सरकार केंद्र से मिली मदद को खर्च नहीं कर रही है। हमें समझ में नहीं आता कि इस सरकार की प्राथमिकता क्या है। उद्धव जी को साहसी फैसला लेना चाहिए। हम राज्य में सरकार नहीं बदलना चाहते लेकिन स्थित बहुत गंभीर है। हम स्थिति से निपटने के लिए सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं।'
खुद शरद पवार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात कर चुके हैं। उद्धव ठाकरे से शरद पवार की हफ्ते में दूसरी मुलाकात के बाद सवाल उठने लगे। इसपर खुद शरद पवार ने ही कहा, 'सरकार के ऊपर कोई खतरा नहीं है। कांग्रेस की मदद से सरकार स्थिर है। जो अटकलें लगाई जा रही हैं, वह बेबुनियाद हैं। मैं राज्यपाल से मिलने जरूर गया था लेकिन यह शिष्टाचार भेंट थी। तमाम विषयों पर उनसे बातचीत हुई। मुझसे राज्यपाल ने कहा कि सीएम उद्धव ठाकरे अच्छा काम कर रहे हैं।'
कांग्रेस भी बोली- चिंता की कोई बात नहीं है
एनसीपी के अलावा कांग्रेस ने भी सुर में सुर मिलाया। राज्य सरकार में मंत्री और महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बाला साहेब थोराट ने कहा, 'महाराष्ट्र में बीजेपी के नेता सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है।' तीनों पार्टियों ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की खबरों को बीजेपी की फैलाई गई अफवाह बताया है।
दूसरी तरफ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ किया कि महाराष्ट्र सरकार को कांग्रेस सपोर्ट कर रही है। वहां पार्टी की बड़े फैसलों में भूमिका नहीं है, यह कहकर राहुल ने 'महाविकास अघाड़ी' (MVA) की एकजुटता को लेकर अटकलों को हवा दे दी है। राहुल ने कहा, 'हम महाराष्ट्र में सरकार को सपोर्ट कर रहे हैं मगर वहां 'की डिसिजन मेकर' नहीं हैं। हम पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पुदुचेरी में 'की डिसिजन मेकर' हैं। सरकार चलाने और सरकार का सपोर्ट करने में फर्क होता है।"
'तीनों पार्टियां एकजुट हैं, सरकार कार्यकाल पूरा करेगी'
राज्य सरकार में मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक ने मंगलवार को कहा कि महा विकास मघाड़ी सरकार मजबूत और स्थिर है और अपना कार्यकाल पूरा करेगी। मलिक ने भरोसा जताया कि संख्या बल (विधायकों की) गठबंधन के पक्ष में है और तीनों दल- शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस एकजुट हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता मलिक ने एक चैनल को बताया, 'तीनों दल एकजुट हैं लेकिन बीजेपी के लोग पिछले कुछ दिनों से अफवाह फैला रहे हैं कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगेगा और यह सरकार गिरेगी।'
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार कोविड-19 से लड़ने में केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन कर रही है। मलिक ने दावा किया कि देश में सबसे ज्यादा लोगों की जांच महाराष्ट्र में हुई है। उन्होंने कहा, 'हमारी सरकार अच्छा प्रदर्शन कर रही है, बीजेपी अफवाह फैला रही है, हमारी सरकार मजबूत है।' बीजेपी के राज्यसभा सदस्य नारायण राणे ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से सोमवार को मुलाकात की और वैश्विक महामारी से निपटने में शिवसेना के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की 'विफलता' के मद्देनजर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। राणे ने संवाददाताओं से कहा कि एमवीए सरकार ने इस अभूतपूर्व संकट के वक्त प्रशासनिक मामलों को बिगाड़ दिया है।