हिजबुल ने इंडिया के लिए तैनात किए दो-दो कमांडर? घाटी में आतंक फैलाने का नया प्‍लान

श्रीनगर
पाकिस्‍तान का आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन भारत को कन्‍फ्यूज करने की रणनीति अपना रहा है। इंटेलिजेंस एजेंसियां इशारा कर रही हैं कि हिजबुल ने जिस 'गाजी हैदर' को इंडिया के लिए नया कमांडर चुना है, वह असल में भटकाने के लिए किया गया है। जम्‍मू-कश्‍मीर पुलिस के टॉप पुलिस ऑफिसर्स और सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) में सोर्सेज ने कहा कि उनके मुताबिक, अनंतनाग के कोकरनाग का रहने वाला 55 वर्षीय 'अशरफ मौलवी' हिजबुल का नया कमांडर है। उसका असली नाम मोहम्‍मद अशरफ खान बताया जाता है।
आतंकियों की लिस्‍ट में गाजी हैदर का नाम नहीं
हिजबुल मुजाहिदीन के इंडिया चीफ रियाज नायकू को सुरक्षा बलों ने कश्‍मीर में मार गिराया था। उसकी शोक सभा में हिजबुल के सरगना सैयद सलाहुद्दीन ने गाजी हैदर के नाम का ऐलान किया था। यह चर्चा थी गाजी कोई और नहीं, असल में नायकू का खासमखास डॉ सैफुल्‍लाह मीर ही है। इंटेलिजेंस के एक टॉप अधिकारी ने कहा, "2016 में बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से आतंकियों की जो लिस्‍ट बनी है, उसमें गाजी हैदर नाम कभी नहीं रहा। इस नाम का इस्‍तेमाल ना तो डार्क वर्ल्‍ड वेब पर होने वाली हिजबुल की बातचीत में, ना ही इंटर-सर्विसिज इंटेलिजेंस (ISI) के मैसेजेस में मिला।" खुफिया एजेंसियों ने कैटेगरी A++ वाले 278 आतंकियों की डायरेक्‍ट्र्री और प्रोफाइल तैयार कर रखे हैं, उनमें गाजी का नाम नहीं है। 
कौन है सैफुल्‍लाह मीर?
इंटेलिजेंस एजेंसियों के डॉजियर बताते हैं कि 32 साल का सैफुल्‍लाह मीर पुलवामा का रहने वाला है। उसने 2014 में बायोमेडिसिन में डिप्‍लोमा लिया था। वह थोड़ा एग्रेसिव है और ISI के दखल के बिना काम करना पसंद करता है। 2014 में हिजबुल का हिस्‍सा बना मीर शोपियां और अवंतीपोरा में ऐक्टिव है। उसके पिता मोहम्‍मद अकरम और दादा के जमात-ए-इस्‍लामी से गहरे ताल्‍लुकात रहे हैं। यह घाटी का एक सामाजिक-क्षेत्रीय-राजनीतिक संगठन है।


दो साल जेल में रहा है अशरफ मौलवी
इंटेजिलेंस के मुताबिक, अशरफ मौलवी 1999 में हिजबुल मुजाहिदीन का सदस्‍य बना। वह मुजफ्फराबाद (पीओके) भी जा चुका है। साल 2007 में पब्लिक सेफ्टी ऐक्‍ट (PSA) के तहत अशरफ गिरफ्तार हुआ था। 2009 में रिहा हुआ। कुछ वक्‍त तक उसने बतौर खानसामा काम किया मगर फिर हिजबुल से जुड़ गया। CRPF के एक टॉप अधिकारी ने बताया कि दोनों करीब 70 आतंकियों के साथ काम करते हैं। अब दोनों सुरक्षा बलों के रडार पर हैं।