इजरायल: लंबे राजनीतिक गतिरोध के बाद इजरायल में फिर से बेंजामिन नेतन्याहू सरकार


जेरूसलम
इजरायल में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू गुरुवार को नई सरकार का गठन करने वाले हैं। इसके साथ ही देश के इतिहास का सबसे लंबे वक्त तक चला राजनीतिक डेडलॉक खत्म हो जाएगा। इस दौरान केयरटेकर सरकार 500 से भी ज्यादा दिन चली। तीन बार आम चुनाव हुए लेकिन साफ नतीजे नहीं निकले। अब नेतन्याहू ने ऐलान किया है कि उन्होंने सरकार बनाने में सफलता हासिल कर ली है। भारत के लिए इजरायल की सरकार का गठन काफी अहम है क्योंकि दोनों देशों के बीच डिफेंस, कृषि और सिचाईं जैसे क्षेत्रों में काफी अच्छे रिश्ते हैं।
गठबंधन सरकार, 2021 तक रहेंगे PM
राष्ट्रपति रूवेन रिवलिन और ब्लू ऐंड वाइट पार्टी चेयरमैन बेनी गांट्स को लिखे खत में नेतन्याहू ने यह जानकारी दी है। गठबंधन के समझौते के मुताबिक नई सरकार में 18 महीने बाद गांट्स नेतन्याहू की जगह प्रधानमंत्री बनेंगे। गुरुवार को पहले सभी सांसद नेसेट सत्र में वोट करेंगे। रात 10 बजे सरकार के 32 मंत्री अपने पद की शपथ लेंगे। 6 महीने बाद यह संख्या 36 हो जाएगी और इसके साथ ही यह सरकार इजराल के इतिहास में सबसे बड़ी सरकार हो जाएगी। 14 नवंबर, 2021 तक गांट्स पीएम नहीं बनते, वह रक्षामंत्री के पद पर रहेंगे।


विरोधी नेता को भी किया शामिल
नेतन्याहू ने इजरायल के पहले पीएम डेविड बेन-गुरियन का सबसे लंबे समय तक कुर्सी पर रहने का रेकॉर्ड पिछले साल जुलाई में तोड़ दिया था। यहां तक कि अपने धुर विरोधी गांट्स को भी अपनी ओर शामिल कर लिया। नेतन्याहू के खिलाफ अभियान चलाने वाले गांट्स ने यह कहकर उनके साथ गठबंधन कर लिया कि तीन चुनावों के बाद भी साफ नतीजे नहीं आने की स्थिति में कोरोना वायरस की महामारी को देखते हुए चौथी वोटिंग कराने से बचना चाहिए। बीबी नाम से मशहूर बेंजामिन का परिवार 1963 में अमेरिका चले गए थे।


PM नरेंद्र मोदी से अच्छे रिश्ते
नेतन्याहू के भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से काफी अच्छे रिश्ते माने जाते हैं। जब 2019 में वह चुनाव प्रचार अभियान में जुटे थे, उस वक्त भी देश में जगह-जगह पीएम मोदी के साथ उनके बड़े-बड़े होर्डिंग देखने को मिल जाया करते थे। जब भारत में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, तब भी नेतन्याहू ने ट्वीट कर अपने 'दोस्त' मोदी को बधाई दी थी। कोरोना वायरस से लड़ाई में भी इजरायल और भारत एक साथ खड़े हैं। भारत ने इजरायल को हाइड्रोक्लोरोक्वाइन भेजी तो नेतन्याहू ने ट्वीट कर मोदी को धन्यवाद दिया था।


ऐसे मिली थी PM की कुर्सी
18 साल की उम्र में बेंजामिन इजरायल वापस आए और यहां पांच साल के लिए सेना जॉइन की। नेतन्याहू का परिवार उस वक्त चर्चा में आया जब उनके बड़े भाई जोनाथन साल 1976 में युगांडा के एन्तेबे में इजरायल के हाइजैक किए गए विमान को छुड़ाने की कोशिश में शहीद हो गए। साल 1988 में नेतन्याहू देश की राजनीति में सक्रिय हो गए। इसी साल उन्होंने लिकुड पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता और संसद पहुंचे। साल 1996 में इजित्ख राबिन की हत्या के बाद जब चुनाव हुए तो नेतन्याहू देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बने जिसका जन्म आजादी के बाद हुआ था। वह देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री भी रहे।


हालांकि, उन्हें इजरायल फिलिस्तीन के बीच ओस्लो समझौता स्वीकार करना महंगा पड़ा और साल 1999 में हुए चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। नेतन्याहू को पार्टी के नेता का पद भी छोड़ना पड़ा। 2005 में तत्कालीन पीएम एरियल शेरोन के कोमा में जाने के बाद नेतन्याहू ने लिकुड पार्टी का अध्यक्ष पद और साल 2009 में पीएम पद अपने नाम किया। 


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