केंद्र सरकार ने दिए 11.45 करोड़ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टेबलेट का अर्जेंट ऑर्डर


नई दिल्ली
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते 11.45 करोड़ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का अर्जेंट ऑर्डर दिए गए हैं। इस ड्रग का उत्पादन एचएलएल लाइफकेयर कंपनी करती है जोकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अंर्तगत आती है। हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड सरकारी कंपनी है जहां पर ये दवा बनाई जाती है।
सटीक दवा नहीं लेकिन कारगर है
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मेडिसन का इस्तेमाल मलेरिया को रोकने के लिए किया जाता है लेकिन इस दवा को कोविड-19 में दिया जा रहा है। हालांकि कोरोना वायरस के लिए ये सटीक दवा नहीं है लेकिन नेशनल टास्क फोर्स ने इस दवा का इस्तेमान करने की सलाह दी है। इस दवा को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इमरजेंसी के समय इस दवा का इस्तेमाल करने का आदेश दिया है।


दो भारतीय कंपनियों को ऑर्डर
स्वास्थ्य मंत्रालय के सीनियर ऑफिसर ने बताया, ' हमने 11.45 करोड़ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मेडिसन का ऑर्डर दो भारतीय फर्मों को दिया है। पहली कंपनी है आईपीसीए लेबोरेटरीज और दूसरी है कैडिला। हमें 16 मई तक 6.64 करोड़ मेडिसन की पहली खेप मिल जाएगी। कोरोना वायरस क्लिनिकल मैनेजमेंट सरकारी आदेशानुसार इस दवा का इस्तेमाल केवल कुछ ऐलिजबल पर्सन पर ही किया जाता है।'


क्‍या है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन ?
इस दवा का मुख्य तौर पर इस्तेमाल मलेरिया के उपचार के लिए किया जाता है। इसके अलावा आर्थराइटिस के इलाज में इसका इस्तेमाल होता है। अभी कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए कोई दवा नहीं बनी है, लेकिन HCQ के नतीजे उत्‍साहवर्धक बताए जा रहे हैं। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने तो इसे 'गेमचेंजर' बताया था। हालांकि इस दवा के कई साइड इफेक्‍ट्स भी हैं और आम जनता से इसका इस्‍तेमाल ना करने को कहा गया है।


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कोरोना वायरस की महामारी पर चल रही बहसों में एक सवाल अक्सर उठता है कि इस बीमारी की दवा क्या है, इसका इलाज क्या है। जिन दवाओं से कोविड-19 के इलाज की संभावनाओं का पता लगाया जा रहा है, उसमें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन भी एक है। ये दवा मलेरिया के अलावा ल्यूपस (एक तरह का चर्म रोग) और गठिया के इलाज में काम आती है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन नाम इसे बनाने में काम आने वाले क्लोरोक्वीन कंपाउड (रासायनिक मिश्रण) से आया है।