कोरोना रिपोर्ट में देरी, पेशंट ने बनाया हॉस्पिटल में रहने का 'रिकॉर्ड'


नोएडा
अश्विन शर्मा और उनकी पत्नी को 26 मार्च को कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया था। कोविड हॉस्पिटल में 14 दिनों के आइसोलेशन के बाद, डॉक्टरों ने अश्विन को बताया था कि उसकी पत्नी ठीक है और उन्हें छुट्टी दे दी गई है और उसका इलाज भी बंद करने का फैसला लिया गया है। अश्विन जानता था कि उसे कोविड -19 से कोई खतरा नहीं है, लेकिन वह घर नहीं जा सकता।

बात तो सिर्फ 14 दिन की थी, लेकिन उनकी टेस्ट रिपोर्ट में आने में देरी होती रही और 37 दिनों तक अश्विन को हॉस्पिटल में ही रहना पड़ा। शुक्रवार की आधी रात के आसपास, एक नर्स रिपोर्ट के साथ पहुंची और अश्विन को बताया कि अब उसका टेस्ट नेगेटिव आया है। कुछ ही घंटों में सुबह होने वाली थी, लेकिन अश्विन अब इंतजार नहीं कर सकते थे। रात करीब 1 बजे वह घर के लिए रवाना हुआ।


...सबसे लंबे समय तक हॉस्पिटल में रहे अश्विन
अश्विन का अस्पताल में रहना नोएडा में किसी भी कोविड पेशेंट का सबसे लंबा समय है। और हैरान करने वाली बात इसलिए भी है कि अश्विन को कोई खास बीमारी नहीं थी, उन्हें सिर्फ इसलिए वहां एडमिट रहना पड़ा क्योंकि उनकी रिपोर्ट आने में समय लग रहा था।


पत्नी को पहले ही मिल गई थी छुट्टी
अश्विन और उनकी पत्नी को 26 मार्च को कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद सेक्टर 30 में चाइल्ड पीजीआई अस्पताल ले जाया गया। अश्विन का संक्रमण फैलना शुरू हुआ तो उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत हुई। जिसके बाद कपल को शारदा अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद उनके सैपल्स कई बार लिए गए, लेकिन उनकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई थी। गाइडलाइंस के अनुसार, उनका इलाज 16 अप्रैल को खत्म हो गया था। अश्विन की पत्नी को अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई लेकिन वह रिपोर्ट आने का इंतजार ही करते रहे।


लिए चार सैंपल, पर नहीं आई रिपोर्ट
अश्विन की पत्नी पूजा शर्मा ने कहा, 'मेरे हॉस्पिटल से घर आने के बाद उनके चार-चार सैंपल लिए गए, लेकिन 10 दिनों से अधिक समय बीत गया, उनकी कोई भी रिपोर्ट नहीं आई। उनका एक्स-रे क्लियर था, और अन्य रिपोर्ट्स भी नॉर्मल थीं। लेकिन उन्हें अन्य कोरोना पॉजिटिव पेशंट्स के साथ अस्पताल में रहना पड़ा, क्योंकि उनकी आखिरी रिपोर्ट में देरी हो रही थी। शारदा अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि जब अश्विन को वहां लाया गया था, वह जिले के कुछ गंभीर कोरोना पेशंट्स में से एक था। शारदा के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देवेंद्र कुमार सिंह ने कहा, 'उनके दोनों फेफड़ों में निमोनिया था, जो गंभीर कोविड पेशंट्स में देखा जाता है। कोविड के लिए निर्धारित ट्रीटमेंट के अलावा, हमने उन्हें हाई क्वालिटी की एंटीबायोटिक दवाइयां दीं। उन्हें कुछ समय के लिए ऑक्सीजन सपोर्ट की भी जरूरत थी।'