नई दिल्ली
कोरोनावायरस की चपेट में आने के बाद देशभर में हुए लॉकडाउन से जहां देशभर में आर्थिक गतिविधियां ठप है, वहीं राज्यों का खजाना भी खाली हो गया है। ऐसे में वे विकासात्मक कार्यों के बदले राज्य के कर्मचारियों का वेतन और रिटायर्ड लोगों का पेंशन भुगतान करने में ज्यादा सक्रियता दिखा रहे हैं।
राज्यों को कहां से मिलता है संसाधन
इंडिया रेटिंग ऐंड रिसर्च ने वर्ष 2017—18 से 2019—20 के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर निष्कर्ष निकाला है कि राज्यों को 46 फीसदी आमदनी अपने टैक्स रेवेन्यू से होती है। उनका 26 फीसदी संसाधन केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में मिलता है जबकि 20 फीसदी हिस्सा अनुदान या ग्रांट का होता है। राज्यों को आठ फीसदी रेवेन्यू नॉन टैक्स रेवेन्यू के मद में आता है। यदि राज्यों के अपने कर राजस्व को अलग—अलग कर देखें तो इसमें 39.9 फीसदी हिस्सेदारी स्टेट जीएसटी की होती है।
21.5 फीसदी राशि वैट से मिलती है जो कि अधिकतर पेट्रोल और डीजल की बिक्री से आता है। 11.9 फीसदी हिस्सा शराब पर लगाए गए करों से आता है। राज्यों को 11.2 फीसदी हिस्सा प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन पर दिए गए स्टांप शुल्क एवं अन्य पूंजीगत ट्रांजैक्शन से आता है 5.7 फीसदी हिस्सा वाहनों के रजिस्ट्रेशन से और 9.8 फीसदी हिस्सा अन्य मद से आता है।
आमदनी चवन्नी खर्चा रुपया
उत्तर प्रदेश का उदाहरण लें तो राज्य को अप्रैल महीने में अपने कर्मचारियों को वेतन देने तथा रिटायर्ड कर्मचारियों को पेंशन देने में ही 12000 करोड़ रुपये का खर्च हुआ जबकि उसकी आमदनी महज 2284 करोड़ रुपये की रही। प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना का कहना है कि यह बेहद खराब स्थिति है लेकिन इससे लोगों के जीवन से तो समझौता नहीं कर सकते हैं। पंजाब की भी लगभग यही हालत है। वहां अप्रैल महीने में वेतन और पेंशन मद में करीब 3000 करोड़ रुपये के भुगतान करना पड़ा। पहले से लिए गए ऋण की सर्विसिंग पर भी करीब इतनी ही राशि खर्च करनी पड़ी।
राज्य की आमदनी देखें तो इस दौरान यह 200 से 250 करोड़ रुपये ही रही। पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल का कहना है कि उस महीने राज्य में शराब की की एक भी बोतल नहीं बिकी। पेट्रोल और डीजल की बिक्री भी न के बराबर हुई। स्टांप ड्यूटी मद में ही देखें तो हर रोज 10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। बिक्री नहीं हुई तो स्टेट जीएसटी का भी कलेक्शन नहीं हुआ।
केंद्र सरकार की भी यही हालत
केंद्र सरकार में भी राजस्व वसूली की स्थिति कुछ ठीक नहीं है। यूं तो सरकार ने मार्च 2020 के लिए जीएसटी वसूली का आंकड़ा अभी तक आम नहीं किया है, लेकिन महकमे से जुड़े लोगों का कहना है कि आलोच्य महीने में राजस्व वसूली एक साल पहले इसी महीने में हुई वसूली के मुकाबले 30 फीसदी के करीब ही रही है। पिछले साल मार्च के दौरान जीएसटी मद में 1.14 लाख करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी।