नई दिल्ली।
दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज में आयोजित धार्मिक समारोह में शामिल होने के बाद कोरोना वायरस का हॉट स्पॉट बने तबलीगी जमात के करीब 4 हजार सदस्यों को क्वारंटाइन सेंटर्स में क्वारंटाइन की अवधि पूरी होने के बाद दिल्ली सरकार ने उन्हें छोड़ने का आदेश दिया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया है कि मरकज मामले में जिन लोगों के नाम दर्ज हैं और जांच के लिए जिनकी आवश्यकता है, तबलीगी जमात के उन सभी सदस्यों को दिल्ली पुलिस की हिरासत में भेजा जाएगा। इसके साथ ही, तबलीगी जमात के जिन सदस्यों की मरकज मामले में जांच के लिए आवश्यकता नहीं है, उन्हें उनके गृह राज्यों में वापस भेजा जाएगा।
पीएम नरेन्द्र मोदी के हेलीकॉप्टर की जांच करने के लिए सस्पेंड होने की वजह से चर्चा में आए कर्नाटक के IAS अधिकारी मोहम्मद मोहसिन को राज्य सरकार ने उनके एक ट्वीट को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। दरअसल मोहसिन ने ट्वीट किया था- केवल दिल्ली में 300 से अधिक ‘तब्लीगी हीरो’ देश की सेवा के लिए प्लाज्मा दान कर रहे हैं। लेकिन ‘गोदी मीडिया’ इन हीरो के मानवता कार्य को नहीं दिखाएगा।
मोहसिन को जारी नोटिस में उनसे पांच दिन के भीतर अखिल भारतीय सेवा के नियमों के उल्लंघन पर लिखित जवाब देने के लिए कहा गया है। पिछड़ी जाति कल्याण विभाग के सचिव के रूप में कार्यरत मोहसिन मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं।
न्यूज एजेंसी पीटीआई को नोटिस की प्रति मिली है जिसमें सरकार ने कहा, इस ट्वीट को मीडिया में मिले प्रतिकूल प्रचार पर सरकार ने गंभीरता से संज्ञान लिया है। कोविड-19 गंभीर मामला है और संवेदनशीलता इसमे शामिल है। राज्य के वरिष्ठ नौकरशाह ने पीटीआई-भाषा से कहा कि कर्नाटक सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह शक्तिशाली अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने से वह नहीं हिचकेगी अगर उनकी गतिविधियां ऐसे समय में समरसता को खराब करती है जब कोविड-19 के खिलाफ एकजुटता की जरूरत है। बता दें कि तबलीगी जमात उस समय चर्चा में आया जब सरकार के निर्देशों के उलट दिल्ली के निजामुद्दीन के मरकज में धार्मिक जमावड़ा हुआ और इसमें शामिल कई लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए।