क्‍या तेजी से रंग बदलकर और ज्‍यादा खतरनाक हो रहा है कोरोना वायरस?


वाशिंगटन
चीन के वुहान शहर से फैले नोवल कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखा है। कोरोना महामारी से अब तक दो लाख 34 हजार लोगों की मौत हो गई है और 33 लाख से ज्‍यादा लोग संक्रमित हैं। कोरोना वायरस पूरे विश्‍व में लगातार नए-नए रूप धारण कर रहा है। इस वायरस के अब तक 10 से ज्‍यादा रूप सामने आ चुके हैं। इस बीच व‍िशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बदल रहे कोरोना वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। यह और ज्‍यादा खतरनाक नहीं होने जा रहा है।
कोरोना वायरस जीनोम
विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना वायरस के रूप बदलने के बाद भी इसकी फैलने की क्षमता या उग्रता नहीं बढ़ रही है। न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस एक तैलीय झिल्ली (ऑइली मेंबरेन) है जिसमें लाखों कॉपी बनाने के लिए जेनेटिक निर्देशों से भरे हुए हैं। ये निर्देश आरएनए के 3,000 वर्णों में ए, सी, जी और यू के क्रम में एनकोड हैं। संक्रमित कोशिकाएं इन्हें पढ़ती है और कई तरह के वायरस प्रोटीन में ट्रांसलेट करती है।


नया कोरोना वायरस –26 दिसंबर
दिसंबर में चीन के वुहान में एक सीफूड मार्केट के आसपास न्यूमोनिया के कई अजीबोगरीब मामले सामने आए। जनवरी की शुरुआत में शोधकर्ताओं ने नए कोरोना वायरस के पहला जीनोम तैयार कर लिया। उन्होंने मार्केट में काम करने वाले एक व्यक्ति के शरीर से इसे अलग किया। यही पहला जीनोम वैज्ञानिकों के लिए सार्स-सीओवी-2 वायरस का पता लगाने का आधार बना जिसने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है।


आरएनए में एक गलती –8 जनवरी
कोरोना वायरस से संक्रमित कोशिका लाखों ने वायरस छोड़ती है जो मूल जीनोम की कॉपी होते हैं। जब कोशिका इस जीनोम की कॉपी बनाती है तो वह कभी-कभी गलती कर देती है। यानी केवल एक क्रम गड़बड़ा जाता है। इस गलती को म्यूटेशन यानी उत्परिवर्तन कहा जाता है। चूंकि कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है तो म्यूटेशन का दौर चलता रहता है।


यह जीनोम वुहान में एक अन्य शुरुआती मरीज से लिया गया था और यह पहले मरीज जैसा ही था। बस इसमें एक म्यूटेशन था। यानी आरएनए का 186वां वर्ण यू के बजाय सी था। जब शोधकर्ताओं ने वुहान के विभिन्न मामलों का तुलनात्मक अध्ययन किया तो उन्हें केवल कुछ ही म्यूटेशन मिले। यह इस बात का प्रमाण था कि इन सभी जीनोम का पूर्वज एक ही था। वायरस एक नियमित दर के साथ म्यूटेट करते हैं जिससे वैज्ञानिक को यह अनुमान लगाने में सफल रहे कि इस महामारी की शुरुआत नवंबर 2019 के आसपास चीन से हुई थी।


एक वंशज, दो और म्यूटेशन –27 फरवरी
वुहान के बाहर केवल एक ही नमूने में आरएनए के उसी 186वें वर्ण में एक म्यूटेशन पाया गया। यह नमूना सात हफ्ते बाद वुहान से 600 मील दूर ग्वांगझू से लिया गया था। यह वुहान में पहले नमूने का वंशज हो सकता है। यह भी संभव है कि दोनों सहोदर वायरस हों और उनका पूर्वज एक ही हो। इन सात हफ्तों में ग्वांगझू का वायरस कई लोगों में फैला और नए वायरसों की कई पीढ़ियां तैयार हुईं। इस दौरान इसमें दो बार म्यूटेशन हुआ। यानी आरएनए के दो और वर्ण यू में बदल गए।


म्यूटेशन के क्या मायने हैं
म्यूटेशन में अक्सर प्रोटीन में बदलाव किए बिना जीन को बदल देता है। प्रोटीन अमीनो अम्ल की एक लंबी श्रंखला होती है जो विभिन्न तरह के कुंडलित आकार में रहती है। हर अमीनो अम्ल में तीन तरह का जेनेटिक वर्ण होता है लेकिन कई मामलों में इस तिकड़ी का तीसरा वर्ण समान अमीनो अम्ल एनकोड करता है। इस तरह के साइलेंट म्यूटेशन से प्रोटीन में कोई बदलाव नहीं होता है।


दूसरी ओर नॉन-साइलेंट म्यूटेशन प्रोटीन के सीक्वेंस बदल देता है। कोरोना वायरस के ग्वांगझू नमूने में दो नॉन-साइलेंट म्यूटेशन के साक्ष्य मिले। लेकिन प्रोटीन सैकड़ों या हजारों अमीनो अम्ल से बने हो सकते हैं। एक अमीनो अम्ल के बदलने से उनके आकार या काम करने के तरीके में कोई उल्लेखनीय बदलाव नहीं होता है।


कुछ म्यूटेशन गायब हुए, कुछ फैले
कई महीने गुजर गए हैं और इस दौरान कोरोना वायरस के जीनोम के कुछ हिस्सों में कई बार म्यूटेशन हुआ है। इसके कुछ हिस्सों में मामूली बदलाव हुआ है या बिल्कुल नहीं हुआ है। शायद यही बात कोरोना वायरस के पहेली को सुलझाने के लिए अहम हो सकती है। जीनोम के जिन हिस्सों में ज्यादा म्यूटेशन हुआ है, वे बदलाव अपनाने के लिए ज्यादा सहज हैं। वे वायरस को नुकसान पहुंचाए बगैर अपने जेनेटिक सीक्वेंस में बदलाव को बर्दाश्त कर सकते हैं।


जीनोम के जिस हिस्से में कम म्यूटेशन हुआ है, वे बदलाव अपनाने में अड़ियल हैं। इन हिस्सों में म्यूटेशन से उसके प्रोटीन में विनाशकारी बदलाव होंगे और इससे वायरस नष्ट हो सकता है। एंटीवायरल ड्रग से वायरस के इन हिस्सों को निशाना बनाया जा सकता है। कोरोना वायरस के जीनोम में हो रहे म्यूटेशन से वैज्ञानिकों को दुनियाभर में इसके प्रसार का पता लगाने में मदद मिल रही है।


अमेरिका में पहला मामला – 15 जनवरी
15 जनवरी को एक व्यक्ति वुहान में अपने परिवार से मिलने के बाद सिएटल इलाके में पहुंचा। कुछ दिन तक मामूली लक्षण दिखने के बाद उसे कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया। यह अमेरिका में कोविड-19 का पहला पुष्ट मामला था। उसके वायरस का जीनोम में तीन सिंगल लेटर म्यूटेशन था। चीन के वायरसों में भी ऐसा ही था। इससे वैज्ञानिकों यह पता लगानें में सफल रहे कि उस व्यक्ति में कहां से संक्रमण फैला था।


सिएटल की छिपी महामारी
पांच हफ्ते बाद वॉशिंगटन की स्नोहोमिश काउंटी में हाई स्कूल के एक छात्र में फ्लू जैसे लक्षण पाए गए। उसकी नाक से लिए गए नमूने से कोविड-19 के संक्रमण की पुष्टि हुई। वैज्ञानिकों ने उसके वायरस का जीनोम तैयार किया और पाया कि इसमें भी वॉशिंगटन के पहले मामले की तरह खास म्यूटेशन था। साथ ही इसमें तीन और म्यूटेशन मिले।


वायरसों की भरमार
जनवरी और फरवरी में विदेशों से कई लोग अमेरिका पहुंचे और अपने साथ कोरोना वायरस भी लाए। म्यूटेशन से पता चला कि इनमें के कुछ चीन से तो कुछ बाकी एशियाई देशों से आए थे। लेकिन न्यूयॉर्क में मरीजों से अलग किए गए वायरसों का जेनेटिक क्रम यूरोप में कहर ढा रहे वायरसों से मेल खाता था। इसमें इटली के वायरस का जेनेटिक क्रम पाया गया।


शंघाई से म्यूनिख – 19 जनवरी
19 जनवरी को अमेरिका में कोविड-19 के पहले मामले की पुष्टि हुई थी और इसी दिन शंघाई से एक महिला म्यूनिख पहुंची। शंघाई में वुहान से उसके माता-पिता उससे मिलने आए थे। जब वह म्यूनिख पहुंची तो उसमें मामूली लक्षण थे। उसे लगा कि यह हवाई यात्रा की थकान का असर है। महिला वाहनों के कलपुर्जे बनाने वाली जर्मनी की एक कंपनी में काम करती थी। जर्मनी पहुंचने के बाद अगले दिन वह कंपनी की बैठक में गई। कंपनी के कई और कर्मचारी बीमार हो गए और कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए। इस बैठक में शामिल एक जर्मन व्यक्ति के शरीर से लिया गया वायरस का म्यूटेशन चीन से जुड़ा था। जल्दी ही अमेरिका और यूरोप इसके मुख्य केंद्र बन गए।


धीमे से म्यूटेट होने वाला वायरस
वैश्विक महामारी के इस चरण में 10 या उससे कम म्युटेशन वाला वायरस सबसे अधिक सक्रिय है। कुछ में 20 से अधिक म्यूटेशन हैं जो अब भी जीनोम के एक फीसदी के दसवें हिस्से के भी कम है। आने वाले दिनों में यह नया रूप विकसित कर सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो नया वायरस। लेकिन अब तक इस तरह के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं।