लद्दाख से अरुणाचल तक, जानिए भारत-चीन के बीच कहां-कहां हैं सीमा विवाद


बीजिंग
एलएसी पर चीन के आक्रामक तेवर ने न केवल भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को सक्रिय कर दिया है, बल्कि वे पहले से ज्यादा तैयारी के साथ सीमा पर डटे हुए हैं। मई में ही दो बार भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच झड़प की खबरें आई, जिनमें दोनों पक्षों के सैनिक घायल भी हुए। चीन की जमीनी सीमा दुनिया के 14 देशों के साथ सटी हुई है जिनमें से अधिकतर देशों के साथ उसके सीमा विवाद हैं।
चीनी सेना ने बॉर्डर पर बढ़ाई तैनाती
कुछ साल पहले चीनी प्रशासन ने रूस के साथ सीमा विवाद मुद्दे को खत्म करने की कोशिशें भी की थी लेकिन सीमा पर जारी गतिरोध पूर्ण रूप से खत्म नहीं हुआ है। वहीं ताइवान और भारत के साथ लगी सीमा पर चीन की हरकतें जग जाहिर हैं। लद्दाख सीमा पर झड़प के बाद चीनी सैनिक स्थायी टैंट लगाकर कैंप कर रहे हैं।


जानिए कहां-कहां हैं विवाद
भारत और चीन की 3488 किलोमीटर लंबी सीमा पर कई बिंदु ऐसे भी हैं जहां दोनों देशों के बीच विवाद है। 1962 में दोनों देश दो अलग-अलग मोर्चों पर युद्ध भी लड़ चुके हैं। चीन की महत्वकांक्षी कम्युनिस्ट सरकार अपने देश को सुपर पॉवर बनने की राह में भारत को रोड़ा मानती है। जानिए उन इलाकों के बारे में जहां चीन और भारत के बीच है सीमा विवाद:


अक्साई चिन
1962 के युद्ध में चीन ने भारत के अक्साई चिन पर कब्जा कर लिया था। तबसे दोनों देशों के बीच यह क्षेत्र विवाद का कारण बना हुआ है। कहने को तो अक्साई चिन शीत मरुभूमि है लेकिन रणनीतिक रूप से इस क्षेत्र की बड़ी अहमियत है।


अरुणाचल प्रदेश
चीन अरुणाचल प्रदेश के तवांग सहित कई इलाकों पर अपना दावा करता है। चीन इसे दक्षिणी तिब्बत का एक हिस्सा बताता है। वह दोनों देशों के बीच की मैकमोहन लाइन को भी मानने से इनकार करता रहा है। चीन अजीब तर्क देता है कि कि 1914 में तिब्बत के प्रतिनिधियों और ब्रिटिश भारत के बीच हुए समझौते में वह शामिल नहीं था और तिब्बत इस समय चीन का हिस्सा है इसलिए उसके किए गए किसी भी समझौते का महत्व नहीं है।


पैगोंग त्सो झील
भारत और चीन के बीच मौजूद 134 किलोमीटर लंबी यह झील विवाद में कई बार आ चुकी है। 14000 फुट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित इस झील का 45 किलोमीटर क्षेत्र भारत में जबकि 90 किलोमीटर क्षेत्र चीन में पड़ता है। एलएसी लाइन इस झील से होकर गुजरती है। कई बार भारतीय और चीनी सैनिक इस झील में भी आमने-सामने आ चुके हैं। 1962 की लड़ाई में चीन ने इसी झील के जरिए सबसे भीषण हमला किया था।


गालवन घाटी
यह घाटी लद्दाख और अक्साई चिन के बीच एलएसी पर स्थित है। यह घाटी चीन के शिंजियांग प्रांत के दक्षिणी हिस्से से लेकर भारत के लद्दाख तक फैली हुई है। हाल के दिनों में चीन ने इसी इलाके में अपने सैनिकों के तादाद को बढ़ाया है। इस क्षेत्र में भारत सामरिक रूप से महत्वपूर्ण एक सड़क का निर्माण कर रहा है लेकिन चीन इसे रोकने के लिए हर संभव कोशिश में जुटा है। चीन पहले ही इस इलाके में महत्वपूर्ण निर्माण कर चुका है लेकिन अब भारत के निर्माण पर उसे आपत्ति है।


डोकलाम
2017 में डोकलाम को लेकर भारतीय और चीनी सेना के बीच 73 दिनों तक गतिरोध जारी रहा था। यह क्षेत्र भारत चीन और भूटान के बॉर्डर पर स्थित है। चीन ने 2017 में जब इस इलाके में सड़क बनाने की कोशिश की तब भारतीय सेना ने इसका कड़ा विरोध किया। जिसके कारण दोनों देशों की सेनाएं दो महीने से भी लंबें समय तक यहां आमने सामने डटी रहीं।


तवांग
अरुणाचल प्रदेश के तवांग को चीन अपना हिस्सा बताता है। उसका कहना है कि यह क्षेत्र दक्षिणी तिब्बत का भाग है। बता दें कि तवांग बौद्ध धर्म के पवित्र स्थलों में से एक है। 1962 के युद्ध में चीनी सेना तवांग तक पहुंच गई थी।