नई दिल्ली
कोरोना वायरस के कहर की वजह से भारत में लॉकडाउन करना पड़ा। 3 मई को लॉकडाउन का दूसरा चरण खत्म हो जाएगा। इसके बाद 17 मई तक लॉकडाउन 3.0 चलेगा। लॉकडाउन ने भारत की आबादी पर कैसा असर डाला है, इसे लेकर रिसर्च भी चल रही है। सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) की एक स्टडी बताती है कि शहरों की आबादी लगभग 11 फीसद घट गई है। वहीं, गांवों की जनंसख्या 7% बढ़ गई। लॉकडाउन की वजह से लाखों लोग अब रोज शहर अप-डाउन नहीं करते जिसका पता इस डेटा से चल रहा है।
CPR के सीनियर फेलो और स्टडी के को-ऑथर पार्थ मुखोपाध्याय कहते हैं, "लॉकडाउन के चलते, लाखों लोग अब शहरों को नहीं आते। इसी वजह से शहरों के पास वाले ग्रामीण इलाकों में आबादी बढ़ी है।" पश्चिमी राजस्थान, ओडिशा की तरफ मूवमेंट में तेजी आई है, शायद इसके पीछे प्रवासी मजदूरों का पलायन बड़ी वजह है। साउथ इंडिया (बेंगलुरु, चेन्नई और मदुरै) में शहरों की तरफ मूवमेंट भी है और पलायन भी।
आने वाले दिनों में और बदलेगी सूरत!
गौर करने वाली बात ये है कि बड़ी आबादी वाले गरीब राज्यों- बिहार, उत्तर प्रदेश की आबादी में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं देखने को मिली है। यहां से बड़ी संख्या में लोग दूसरे राज्यों में जाते हैं। उनकी आवाजाही में लॉकडाउन के चलते देर हो गई क्योंकि रेलवे और बसें बंद हैं। राज्यों की सीमाएं सील हैं। आने वाले कुछ दिन में यह स्थिति बदल सकती है कि क्योंकि अब प्रवासियों के लिए ट्रेनें खोल दी गई हैं।
लापरवाह हो गए हैं लोग
मार्च के आखिर में जब लॉकडाउन हुआ तो लोगों ने उसे बड़ी गंभीरता से लिया। गूगल की मोबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार, अब लोग घरों से ज्यादा बाहर निकल रहे हैं। मार्च में इसमें 64 फीसद की गिरावट देखी गई थी जो अप्रैल में घटकर 47 फीसद रह गए। इसका मतलब लोग चाहे सामान लेने ही सही, मगर घरों से बाहर निकल रहे हैं।
सबकुछ बंद, सूना-सूना
मार्च में ऑफिस जाने वालों की संख्या में 65 फीसद की कमी आई थी। हालांकि अप्रैल में यह आंकड़ा 58% हो गया। पार्क जाने वाले लोगों की संख्या मार्च में जहां 53 पर्सेंट घटी थी, वहीं अप्रैल में यह 64 फीसद तक आ गई क्योंकि अधिकतर पार्क बंद हैं। बंदी के चलते ही दुकानों, मॉल्स और रेस्तरां में भी मूवमेंट बहुत कम हो गया।
गूगल ने लोकेशन हिस्ट्री से निकाली रिपोर्ट
मूवमेंट के यह आंकड़े गूगल की मोबिलिटी रिपोर्ट में सामने आए हैं। यह उन यूजर्स के डेटा को दिखाता है जिन्होंने अपनी लोकेशन हिस्ट्री ऑन कर रखी है। भारत के मुकाबले अमेरिका में लोग ज्यादा बेचैन हैं। मैरीलैंड ट्रांसपोर्टेशन इंस्टीट्यूट (MIT) के रिसर्चर्स ने सेलफोन डेटा के आधार पर पाया कि अमेरिका में लोग बिना काम से बाहर निकल रहे हैं।