लॉकडाउनः 4 दिन से भूखे.. लुटे-पिटे जंगल में फंसे, प्रवासी मजदूर बोले- मदद करो, नहीं तो मर जाएंगे


चंडीगढ़
कोरोना वायरस और उसकी वजह से देशभर में लागू लॉकडाउन ने लाखों प्रवासी मजदूरों के जीवन को अनिश्चित बना रखा है। एक तो घर से दूर और फिर रोजगार न होने के कारण भोजन की समस्या होने पर जब जान पर बन आती है और कहीं से मदद मिलने के आसार नजर नहीं आते, तब उनके सामने एक ही विकल्प बचता है। देश के कई हिस्सों से मजदूरों ने इसी विकल्प का हाथ थामा और जान की बाजी लगाकर पैदल ही हजारों किमी दूर अपने घर-गांव की ओर चल पड़े।

रोजगार का शहर छोड़ते प्रवासियों के मन में इस बात की टीस भी है कि जिन शहरों की चकमक बढ़ाने में उनका खून-पसीना लगा हुए है, जिन शहर के लोगों के लिए उन्होंने अपना जीवन लगा दिया, उस शहर के लोग ऐसे कठोर निकले कि संकट आने पर उन्हें आसरा नहीं दे सके। पंजाब में काम करने वाले ऐसे ही कुछ मजदूरों ने लॉकडाउन के चक्रव्यूह को तोड़कर बाहर निकलने की कोशिश लेकिन उनका रास्ता आसान नहीं रहा। रास्ते में उन्होंने जिन चुनौतियों का सामना किया हम और आप उसकी कल्पना तक से कांप जाएं।


रास्ते में लूट लिए पैसे
सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है। फरीदाबाद के रहने वाले एक मजदूर ने इसके जरिए अपनी बात जिम्मेदारों तक पहुंचाने की कोशिश की है। उन्होंने बताया कि वे लोग लुधियाना में मजदूरी करते हैं। लॉकडाउन में दिक्कत हुई तो वे लुधियाना से पैदल ही अपने ही घर के लिए रवाना हो गए लेकिन रास्ते में उन्हें लूट लिया गया। अज्ञात लोगों ने इन लाचार मजदूरों के न सिर्फ पैसे लूट लिए बल्कि उन्हें बुरी तरह से पीटा। अपनी और अपने साथी की चोट दिखाते हुए वह मजदूर बताते हैं कि उन्होंने चार दिनों से कुछ नहीं खाया है।


पुलिस ने दिया आश्वासन
इतना ही नहीं, देशभर की चमकदार और शानदार सड़कों के निर्माता जब अपने घर का रास्ता तलाशते हैं तब वही सड़कें उनके रास्ते की बाधा बन जाती हैं। भूखे-प्यासे मजदूर सड़क मार्ग को छोड़कर खतरनाक जंगल के रास्ते को चुनते हैं क्योंकि सड़कों पर निकलने वाले लोगों पर पुलिस डंडे बरसा रही है। मजदूर ने बताया कि उन लोगों ने जब पुलिस को अपनी सारी बातें बताईं तो उन्होंने मदद का आश्वासन दिया। पुलिसवालों ने कहा कि सभी मजदूरों को एक कैंप में ले जाया जाएगा, जहां उनकी जांच होगी। फिर उन्हें उनके गंतव्य तक छोड़ दिया जाएगा।


पुलिस उन्हें कैंप तक ले गई। उनकी जांच भी की गई लेकिन फिर उन्हें लुधियाना-अंबाला बॉर्डर पर छोड़ दिया गया। इसके बाद भूखे, हैरान-परेशान मजदूर भूख-प्यास और विवशता की चुनौतियों से जूझते हुए जंगल और खेतों के रास्ते घर जाने को मजबूर हुए क्योंकि जैसे ही वह बाहर निकलते हैं, पुलिस उन पर लाठियां बरसाना शुरू कर देती है।


वीडियो जारी कर मांगी मदद
कहीं से कोई मदद की आस न दिखने पर उन्होंने एक वीडियो संदेश के जरिए मदद की गुहार लगाई। मजदूर की अपील को शब्दशः पढ़िए और उनकी तकलीफ तथा जीवन जाने के डर को महसूस कीजिए कि इसकी तकलीफ कई उन मजदूरों की भी पीड़ा भी है, जो किसी वीडियो के जरिए मदद मांगने की सुविधा से भी महरूम हैं।


क्या बोले मजदूर..
वीडियो में एक युवा मजदूर ने कहा, "हाथ जोड़कर आप लोगों से विनती है कि हमारी मदद कीजिए नहीं तो हम मर जाएंगे यहीं पे। कोई सहारा दिख नहीं रहा है, इतना डर लगा हुआ है। जैसे बाहर जाते हैं वैसे पुलिस वाले दौड़ा लेते हैं। हम लोग मर जाएंगे अगर हमारी कोई मदद नहीं हुई तो। आप लोगों से विनती है, आज हम लोग चार दिन से भूखे-प्यासे बैठे हैं, हमारे पास कुछ भी नहीं है। जो था वह सब छीन लिया अंबाला में।"