मानव बैलगाड़ी, सूटकेस पर सोता लाड़ला और टॉइलेट में खाना...दर्दनाक हैं प्रवासियों की घरवापसी की तस्वीरें

 


 



कोरोना वायरस लॉकडाउनके बीच देश के अलग-अलग कोनों से प्रवासी मजदूरों की दर्दनाक तस्वीरेंphotos) आ रही हैं। कोई परिवार को घर पहुंचाने के लिए खुद बैलगाड़ी खींच रहा है। तो कोई जुगाड़ की गाड़ी पर पत्नी को बैठकर 800 किलोमीटर दूर घर ले आया। इतने लंबे और पैदल के सफर बच्चों का बुरा हाल है। प्रवासी मजदूरों की घरवापसी की ऐसी ही तस्वीरें रुला देती हैं।
सूटकेस पर ही सो गया बच्चा



छोटा सा बच्चा आखिर कितना चलता, आखिरकार वह सूटकेस पर ही सो गया। इसे बच्चे की मां खींचकर पंजाब से खींचकर आगरा तक लाई थी। उन्हें झांसी जाना था। कुल सफर 800 किलोमीटर का था। 
जुगाड़ की गाड़ी पर गर्भवती पत्नी और बेटी को बिठाया, 17 दिन में 800KM चला



लॉकडाउन की वजह से हैदराबाद में रहे रामू की रोजी छिन गई। लाचार और बेबस रामू के पास घर लौटने के लिए भी को रास्ता नहीं बचा था। रामू हैदराबाद से पत्नी और बेटी के साथ पैदल चल दिया। लेकिन गर्भवती पत्नी के लिए 800 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना आसान नहीं था। 10-15 किलोमीटर चलने के बाद रामू ने जुगाड़ से एक हाथ गाड़ी बनाई। हाथ गाड़ी पर ही उसने अपनी पत्नी और नन्ही बिटिया को बिठाया। उसके बाद पैदल ही हैदरबाद से खींचते हुए चल दिया। वह हाथ गाड़ी पर सामान बांधकर पत्नी और बेटी को खींचकर 17 दिन तक ऐसे ही चलता रहा। मंगलवार को वह बालाघाट जिले की सीमा रजेगांव पर पहुंचा।
मां तो मां है



टॉइलट में रहा, खाना भी वहीं खाया



ऊपर जो शख्स आपको दिख रहा है वह कालिया बिंडानी है। 30 साल का मजदूर ओडिशा का है। वहीं के गंजम जिले में यह मजदूरी करता था। लॉकडाउन के बाद किसी तरह अपने गांव जो कि ओडिशा में ही है वहां पहुंचा। लेकिन गांववालों ने उसे गांव में घुसने नहीं दिया। फिर तीन उसने गांव के पास खाली टॉइलट में गुजारे।
अभी तो खाना मिल गया, आगे क्या?



घर पहुंचने के लिए बैलगाड़ी खींच रहा है मजदूर परिवार