मजदूरों के लिए नैशनल लॉ स्कूल के एलुमिनाई का अनोखा कदम, फंड इकट्ठा कर मुंबई से रांची तक फ्लाइट से भेजा


मुंबई
प्रवासी मजदूरों को घर वापसी में हो रही तकलीफों को देखते हुए नैशनल लॉ स्कूल-बेंगलुरु के पूर्व छात्रों ने एक अनोखा फैसला किया। मजदूरों को विमान से वापस पहुंचाने के आइडिया पर साथ आए एलुमिनाई ने आधे दिन के समय में पर्याप्त फंड इकट्ठा कर झारखंड के 180 मजदूरों को मुंबई से रांची तक फ्लाइट से वापस भेजा। यह पहला मौका है जब निजी लोगों के ग्रुप ने एकसाथ आकर फंसे हुए मजदूरों को फ्लाइट के जरिए वापस घर भेजा।

NGO की मदद से मजदूरों की पहचान
एक एलुमिनाई ने अपनी पहचान छिपाने की शर्त पर बताया, 'झारखंड सरकार ने हमसे प्रतिबद्धता किया कि मजदूरों के रांची पहुंचने पर उनका ख्याल रखा जाएगा।' नैशनल लॉ स्कूल के पिछले कई बैचों के पूर्व स्टूडेंट्स ने फंड इकट्ठा किया। विभिन्न एनजीओ के माध्यम से मजदूरों की पहचान की गई।


बस के बराबर ही पड़ा विमान का किराया
लॉ स्कूल की 2000 बैच की शाएल त्रेहान ने बताया कि उनके बैचमेट्स प्रवासी मजदूरों की सहायता को लेकर चर्चा कर रहे थे। पहले मजदूरों को मुंबई से रांची ले जाने के लिए बस का आइडिया आया लेकिन काउंट करने पर यात्रा का पूरा खर्चा विमान के बराबर ही आया। फिलहाल टाटा ग्रुप के साथ लीगल हेड के तौर पर काम कर रहे शुवा मंडल ने फ्लाइट का ऑप्शन सामने रखा।


आधे दिन में जुटा ली लाखों की रकम
त्रेहान ने बताया, 'यह पूरा आइडिया संयुक्त प्रयासों का नतीजा है। इसमें टाटा ग्रुप, एयरलाइन और आईआईटी बॉम्बे में रिसर्च स्कॉलर प्रिया शर्मा ने मदद की।' उन्होंने 180 यात्रियों की क्षमता वाले एयर एशिया के फ्लाइट को किराए पर लिया। पूर्व छात्रों ने क्राउड फंडिंग के जरिए 11 लाख रुपये जुटाए।


एक पूर्व स्टूडे्ंट ने बताया कि लॉकडाउन पीरियड में कई सारे एलुमिनाई विभिन्न राज्यों में राहत कार्य में जुटे हुए हैं। प्रवासी मजदूरों की वापसी एक बड़ा मुद्दा रही। बस से वापस जाने और फ्लाइट का किराया लगभग बराबर ही पड़ा। इसलिए सोमवार से फ्लाइट शुरू होने पर उन्हें फ्लाइट से ही वापस भेजने का फैसला हमने किया।


'सड़कों पर पैदल मजदूर, यह अपराध'
एक सदस्य ने बताया, 'विभिन्न लोग जितनी रकम खर्च कर रहे हैं, उतने में सभी प्रवासी मजदूर इस लॉकडाउन पीरियड में आराम से विमान के जरिए घर पहुंच जाते। याद करिए कि स्पाइस जेट ने तो फ्री में मजदूरों को ले जाने की पेशकश तक की थी। इतने मजदूर जो पैदल ही सड़कों पर चल रहे हैं, यह अपराध है।'


'समस्या की तुलना में छोटा सा प्रयास'
दूसरे एक एलुमिनाई ने कहा कि जितने बड़े पैमाने पर दिक्कत हुई है, उसकी तुलना में यह बहुत छोटा सा प्रयास मात्र है। हमारे लॉ स्कूल के निदेशक माधव मेनन ने सामाजिक परिवर्तन का कारक बनने की फिलॉसफी सिखाई थी, जो कि हमें अभी भी याद है।


एक एलुमिनाई ने बताया, 'पहले 45 प्रवासी मजदूरों को फ्लाइट से दिल्ली होते हुए रांची जाने के लिए बुकिंग की गई। वो फ्लाइट कैंसल हो गई। इसके बाद हम सबने एक विमान को ही बुक कर अधिक मजदूरों को भेजने का फैसला किया। इसका पूरा खर्चा हम सबने ही जुटाया।'