ओडिशा, गोवा ने कामकाज के घंटे बढ़ाकर 12 घंटे किया, कर्नाटक भी कर रहा विचार


नई दिल्ली
कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था की सेहत सुधारने के लिए राज्यों के साथ मिलकर उद्योग जगत ने पहल शुरू कर दी है। ओडिशा तथा गोवा ने फैक्ट्री ऐक्ट 1948 के तहत श्रम कानूनों में ढील देते हुए तीन महीने के लिए कामकाज के घंटे को 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया है। दोनों राज्यों ने कहा है कि मजदूरों को अतिरिक्त घंटों के लिए अलग से भुगतान किए जाएंगे। हालांकि, श्रमिक संगठनों ने कहा है कि वह राज्यों एवं उद्योग के इस कदम का विरोध करेगा।


कर्नाटक भी कर रहा विचार
कर्नाटक सरकार भी कुछ इसी तरह की योजना पर विचार कर रही है और इसके लिए वह उद्योग संगठनों तथा कामगार यूनियनों से बातचीत के बाद कामकाज के घंटे तथा ओवरटाइम तय करेगी। लेकिन राज्य के वर्कर्स यूनियंस जैसे एआईसीसीटीयू तथा आईएनटीयूसी ने कहा है कि अगर श्रम कानून के नियमों में ढील दी जाती है तो वे इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।


उद्योग संगठनों ने दिया था रिप्रेजेंटेशन
उत्पादन को हुए नुकसान की भरपाई करने तथा अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए उद्योग तथा नियोक्ता संगठनों ने कामकाज के घंटे को बढ़ाने के लिए रिप्रेजेंटेशन दिया था, जिसके बाद इसे कानूनी रूप से चार घंटे और बढ़ाने का कदम सामने आया है।


महाराष्ट्र ने भी की घोषणा
महाराष्ट्र में प्रवासी मजदूरों के अपने घर लौटने से हुई मजदूरों की कमी को देखते हुए प्रदेश की सरकार ने बुधवार को एक अधिसूचना के जरिए अगले महीने के अंत तक के लिए कामकाज के घंटों के नियमों में ढील देने की घोषणा की। कामकाज के घंटे को आठ घंटे से बढ़ाकर अधिकतम 12 घंटे कर दिया गया है और अतिरिक्त घंटों के लिए मजदूरों को दोगुना भुगतान किया जाएगा। मजदूरों के लिए सप्ताह में कामकाज की 60 घंटे की सीमा तय की गई है, जिसके बारे में संभावना जताई जा रही है कि ऐसा करने से उन्हें सातों दिन काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकेगा।


श्रमिक संघ करेगा विरोध
सीपीएम से संबद्ध मजदूर यूनिटन सेंटर ऑफ ट्रेड यूनियंस (CITU) ने राज्यों के इस कदम का विरोध करते हुए कहा है कि लंबे समय तक संघर्ष के बाद 130 साल पहले आठ घंटे काम करने का अधिकार मिला है।