प्रवासी मजदूरों को मरने के लिए छोड़ दिया, इतिहास में ऐसी असंवेदनशील सरकार कभी नहीं देखी : यशवंत सिन्हा


नई दिल्ली
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा गाहे-बगाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर कठोरतम हमले करते रहते हैं। इस बार उन्होंने कोरोना संकट के दौरान प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा के हवाले से मोदी सरकार को भारतीय इतिहास की सबसे असंवेदनशील सरकार का तमगा दे दिया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि मजदूरों को मरने के लिए छोड़ दिया गया जो सीधे-सीधे जिम्मेदारी से भागने जैसा है।यशवंत सिन्हा ने ट्वीट किया, 'प्रवासी मजदूरों को मरने के लिए छोड़ दिया गया। भारत सरकार ने अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह त्याग दी है। हमारे इतिहास में किसी ने ऐसी असंवेदनशील सरकार कभी नहीं देखी। लोग इसे (सरकार को) ऐसी बेरहमी के लिए कभी माफ नहीं करेंगे।' 
औरंगाबाद में 16 मजदूर ट्रेन से कटे
ध्यान रहे कि कोरोना संकट से निपटने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन में फंसे मजदूरों की विभिन्न घटनाओं में लगातार जानें जा रही हैं। महाराष्ट्र के औरंगाबाद से आज दिल दहला देने वाली घटना सामने आई जहां 16 मजदूर ट्रेन से कट गए। वो सभी जालना से भुसावल की तरफ पैदल निकल पड़े थे और थक कर रेल पटरियों पर ही सो गए थे। 
कोरोना काल में मजदूरों की दुर्दशा
कोरोना काल में मजदूर संकट का अहसास पहली बार लॉकडाउन के ऐलान के दूसरे-तीसरे दिन से ही होने लगा था। 25 मार्च को लॉकडाउन लागू होने के बाद दिल्ली-एनसीआर से हजारों मजदूर विभिन्न प्रदेशों में अपने-अपने गांवों की तरफ पैदल ही निकल पड़े थे। उस वक्त भी कई मजदूर हाईवे पर विभिन्न दुर्घटनाओं के शिकार हुए थे। कई ने सैकड़ों किमी की यात्रा के दौरान रास्ते में ही दम तोड़ दिया। किसी की घर पहुंचने के बाद जान निकल गई। 
राहुल गांधी ने भी उठाया मजदूरों का मुद्दा
उधर, कांग्रेस के पूर्व राहुल गांधी ने गरीबों एवं मजदूरों के खातों में 7,500 रुपये डालने की मांग की है। उन्होंने केंद्र पर कोरोना संकट से निपटने में राज्यों से साझेदारी नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सारे फैसले सिर्फ प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से हो रहे हैं। कांग्रेस सांसद ने आशंका जताई कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो देश कोरोना के खिलाफ लड़ाई हार सकता है।