राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा-औपचारिकताओं के नाम पर श्रमिकों को क्यो परेशान किया जा रहा है? पैदल श्रमिकों को ई-पास और एनओसी की क्या आवश्यकता है?


जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार से पूछा कि औपचारिकताओं के नाम पर श्रमिकों को क्यो परेशान किया जा रहा है? पैदल श्रमिकों को ई-पास और एनओसी की क्या आवश्यकता है? प्रवासी श्रमिकों को घर पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार ने अपना जवाब पेश किया। हाईकोर्ट ने सोमवार को बॉर्डर पर श्रमिकों की स्थिति के बारे में हलफनामा पेश करने का आदेश दिया।  


 
हरिसिंह राजपुरोहित की ओर से दायर जनहित याचिका पर आज हाईकोर्ट की जोधपुर स्थित मुख्य पीठ में न्यायाधीश संगीत लोढ़ा की खंडपीठ में सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि 13 मई तक 3 ट्रेन के माध्यम से तीन हजार प्रवासी राजस्थान पहुंचे है। 18 मई तक ऐसी आठ और ट्रेनें राजस्थान आएंगी।


याचिकाकर्ता के वकील मोतीसिंह ने सवाल उठाते हुए कहा कि अब तक 20.97 लाख प्रवासी लोग अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। इस रफ्तार से ये लोग कब अपने घर पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना व तमिलनाडू में बड़ी संख्या में प्रवासी राजस्थानी है। उन्हें लाने के लिए अलग-अलग स्टेशनों से सुबह-शाम दो-दो ट्रेन चलाई जाए।


उन्होंने कहा कि पैदल आ रहे लोगों को नाहक ही परेशान किया जा रहा है। ऐसे लोगों को राजस्थान की सीमा में प्रवेश करते ही बगैर किसी औपचारिकता के बसें लगाकर उनके गंतव्य तक पहुंचाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बस सेवा शुरू होनी थी, लेकिन अब तक नहीं हो पाई है। राज्य सरकार इन बसों का न्यूनतम किराया तय कर इनकी सेवा तत्काल शुरू करे। कोर्ट ने राज्य सरकार ने बॉर्डर पर प्रवासियों की क्या मौजूदा स्थिति क्या है, इस संबंध में हल्फनामा पेश करने के आदेश दिए हैं। अब सोमवार को फिर सुनवाई होगी।