राजस्थान के दो सेफ जोन / श्रीगंगानगर ने हर 500 मीटर पर चेक पॉइंट, चारों तरफ से संक्रमित जिलों से घिरे बूंदी में गांव तक सील कर दिए गए


श्रीगंगानगर. राजस्थान में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 5 हजार के पार पहुंच चुका है। राज्य के 33 जिलों में से 31 में अब तक कोरोना के केस सामने आ चुके हैं। इनमें बस 2 जिले ऐसे हैं जहां अब तक एक भी पॉजिटिव केस नहीं आया। पहला श्रीगंगानगर जिसकी सीमा पंजाब, हनुमानगढ़ और बीकानेर से जुड़ी हैं। सभी जगह कई कोरोना पॉजिटिव केस आ चुके, लेकिन यहां कोरोना नहीं पहुंच सका। दूसरा बूंदी चारो तरफ से संक्रमित जिलों से घिरा हुआ है। जो हॉटस्पॉट रहे भीलवाड़ा और कोटा से भी जुड़ा है। दूसरे राज्यों और रेडजोन इलाके से बूंदी आने वाले मजदूरों या अन्य लोगों की संख्या कम रही, लेकिन सरकारी दफ्तरों से लेकर डॉक्टर्स तक डेली अपडाउन करते रहे। बाहर से भी लोग आ-जा रहे हैं। जिसके बाद भी बूंदी में कोरोना की एंट्री नहीं हुई।


श्रीगंगानगर मॉडल- हर 500 मीटर पर चेक पॉइंट बनाए गए, सीमाओं पर हथियारबंद बंद जवान तैनात किए गए


- जनता कर्फ्यू से एक दिन पहले ही रूट प्लान तैयार कर लिया गया था। 21 मार्च के बाद से ही मार्केट बंद करवा दिए गए।
- सभी रस्तों की नाकाबंदी शुरू करवा दी गई। हर 500 मीटर  पर चेक पॉइनंट लगाए गए।
- 23 तारीक को लॉकडाउन के साथ ही जिले की सामाएं सील कर दी गईं। जहां हथियारबंद जवान और तहसीलदार तैनात कर दिए गए।
- लोगों को लाउड स्पीकर की मदद से घर में रहने के लिए बोला गया, साथ ही नियमों के बारे में भी बताया गया।
- कलेक्टर ने साफ आदेश जारी किए कि हमारी परमीशन के बिना जिले में न कोई आ सकेगा न ही बाहर जा सकेगा।


कड़ाई से किया गया नियमों का पालन


-सभी बंदिशों के साथ नियमों का कड़ाई से पालन किया गया। आने-जाने वालों के लिए ईपास की व्यवस्था की गई। जिसमें से 100 में से 30 को भी मंजूरी दी गई।
- ई पास के लिए परमीशन देने से पहले कारणों की सख्ती से जांच की गई। देखा गया पास के लिए आवेदन करने वाला झूठ तो नहीं बोल रहा। आने-जाने का रीजन कितना सही है इसकी भी जांच की गई।
-जिसके लिए आरपीएस लेवल के अधिकरी लगाए गए। उन्होंने खुद सभी आवेदनों की जांच की। रीजन सही नहीं होने पर आवेदन कैंसिल कर दिया गया।
-शहर में जगह-जगह पुलिसबल तैनात किए गए। जिनके जरिए हर आने जाने वाले पर नजर रखी गई। रीजन सही नहीं होने पर वापस घर भेज दिया गया।


संदिग्ध के आने पर पूरे गांव की सैंपलिंग की गई


- नियमों की पालना के साथ ही जिले में लगातार सैंपलिंग भी की गई। आने-जाने वालों को बॉर्डर पर ही रोककर सैंपल लिए गए। 
- कहीं किसी संदिग्ध की सूचना पर उस पूरे क्षेत्र या गांव को क्वारैंटाइन कर सैंपलिंग की गई। 
- संदिग्धों की ट्रैवल हिस्ट्री की जांच करने के लिए सीआईडी की मदद से एक विंग बनाई गई। 
- किसी के संदिग्ध होने पर उससे जुड़े तीसरे लेवल तक के व्यक्ति की ट्रैवल हिस्ट्री खंगाली गई।


बूंदी मॉडल-  गाइडलाइन को पूरा फॉलो किया, बाहर से आने वालों पर नजर रखी


- लॉकडाउन की पहले ही दिन से सख्ती से पालना शुरू कर दी गई, वक्त नहीं गंवाया।
-सरकार की गाइडलाइन सख्ती से लागू करने पर फोकस, कहीं बेपरवाही नहीं बरती गई।
- पुलिस-प्रशासन में बेहतरीन तालमेल, सभी एसडीएम को साफ डायरेक्शन था कि उन्हें क्या करना है, क्या नहीं।
- गांवों में सतर्कता कमेटियों ने हर आने-जाने वालों पर नजर रखी, होम क्वारैंटाइन किया, तत्काल रिपोर्ट दी।
-कंट्रोल रूम, वाट्सएप पर पब्लिक से मिले सुझावों-सूचना पर तत्काल अमल।
- भामाशाहों के सहयोग से वक्त पर भोजन-राशन दिया, लोगों को बेवजह बाहर नहीं आना पड़ा।
- मंडियों में नियंत्रित प्रवेश, ऐसे में भीड़भाड़ नहीं हुई या कम हुई।
-बाहर से आने वालों पर निगरानी रखी और छोटी-मोटी सूचना पर मेडिकल-प्रशासनिक टीम पहुंची।


पुलिस ने सख्ती के साथ समझाइश की, सोशल मीडिया पर भी नजर रखी


-लॉकडाउन की पालना में सख्ती के साथ समझाइश, सहयोग किया। जरूरतमंदों काे राहत सामग्री पहुंचाई।
- जिले की सभी सीमाएं सील कर दी गईं, बार्डर पर 20 और कुल 40 नाका पाइंट बनाए गए। एसपी फील्ड में रहे, वाट्सएप ग्रुप से लगातार निर्देश।
- बेवजह बाहर निकलने वालों पर कड़ी कार्रवाई की। करीब 3 हजार गाड़ियां जब्त की और करीब 9 हजार वाहनाें के चालान काटे।
- कलेक्टर-एसपी के बीच बेहतरीन कोऑर्डिनेशन से गाइडलाइन की पालना हो सकी, ग्रामीणों से तालमेल।
- 100 से ज्यादा लोगों को लॉकडाउन का उल्लंघन मकरने और अफवाहबाजों को गिरफ्तार किया।
- सोशल मीडिया पर नियंत्रण रखा।


ग्रामीण जागरूक, गांवों के रास्तों में खाइयां


- गांवों में इतनी जागरूकता फैलाई कि बाहर से चोरी छिपे आने वालों को रोकने के लिए ग्रामीणों ने गांवों में खाइयां खोद दीं, निगरानी-चौकियां बना लीं, कोई भी आया तो तत्काल इसकी सूचना प्रशासन तक दी और उस पर तत्काल अमल हुआ।
- घर-घर में महिलाएं और सामाजिक संस्थाएं मास्क बनाने में जुट गईं, कई युवाओं ने विशेष फेस शील्ड बनाए।
- जरूरतमंदों की मदद में भामाशाहों की लाइन लग गई। लंगर खोले, चाय-नाश्ते, भोजन किट बांटे।
-गांवों-शहरों को सैनिटाइज किया। अपने खर्च पर ट्रैक्टर लगाकर गांवों में दवा छिड़कने वाली मशीनों से सेनेटाइज स्प्रे किया।
-धार्मिक स्थलों पर लोगों की आवाजाही पर कड़ाई से पाबंदी, सभी वर्गों ने अक्षरश: पालन किया। धार्मिक गुरुओं ने पूरा साथ दिया।