रिसर्च रिपोर्ट / तीन शीर्ष संस्थानों के वैज्ञानिकों ने चेताया- कोरानावायरस महामारी 2022 तक बनी रहेगी और इसके दौर चलते रहेंगे


न्यू यॉर्क. कोरोनावायरस और इसका फैलाया संक्रमण इतनी जल्दी इंसानों का पीछा नहीं छोड़ेगा। विशेषज्ञों की एक टीम ने कहा कि कोरोनोवायरस महामारी अगले दो साल तक चलने की संभावना है। इन विशेषज्ञों की सलाह है कि अनुमानित इसे 2022 तक नियंत्रित नहीं किया जा सकेगा और ये तभी काबू में आएगी जब तक कि दुनिया की दो तिहाई आबादी में इस वायरस के लिए इम्यूनिटी पैदा न हो जाए।


ब्लूमबर्ग में छपी ये रिपोर्ट अमेरिका के सेंटर फॉर इंफेक्शियस डिसीज (CIDRAP) के डायरेक्टर क्रिस्टन मूर, टुलाने यूनिवर्सिटी  के पब्लिक हेल्थ हिस्टोरियन जॉन बैरी और हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के महामारी विज्ञानी मार्क लिप्सिच ने मिलकर लिखी है।


इस रिपोर्ट की 5 खास बातें, आसान शब्दों में :


    1. ज्ञात इतिहास की 2009-10 के फ्लू की तुलना में नए कोरोनावायरस को काबू करना मुश्किल है क्योंकि हमारे बीच ऐसे लोग हैं जिनमें इस बीमारी के लक्षण दिखाई नहीं दे रहे, लेकिन वे दूसरों तक इसे फैला सकते हैं। इस बात का डर बढ़ रहा है कि लोगों में लक्षण तब सामने आ रहे हैं जब उनमें संक्रमण बहुत ज्यादा फैल चुका होता है।
    2. कोरोना@2022 इसलिए सच्चाई हो सकता है क्योंकि दुनियाभर में अरबों लोग लॉकडाउन के कारण बंद थे और इस वजह से संक्रमण में ठहराव देखा गया। लेकिन, अब बिजनेस और सार्वजनिक स्थानों के खुलने के कारण खतरा फिर बढ़ रहा है। ऐसे में कोरोनोवायरस महामारी दौर यानि वेव्ज के रूप में 2022 तक बनी रह सकती है क्योंकि तब तक ही 70 प्रतिशत लोगों तक वैक्सीन पहुंच सकेगा।
    3. सरकारों को लोगों तक जोखिम भरी यह बात पहुंनी होगी कि ये महामारी जल्दी खत्म नहीं होने वाली और ऐसे में उन्हें अगले दो वर्षों के लिए बार-बार आने वाली इसकी वेव्ज के लिए खुद को  तैयार रखना होगा। 
    4. वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने के लिए भारी दौड़-धूप कर रहे हैं और संभावना है कि 2020 के अंत तक कुछ मात्रा में वैक्सीन मिल भी जाए, लेकिन बड़ी आबादी के लिए इम्यूनिटी पाना भारी चुनौती बनने वाली है।
    5. अमेरिका का उदाहरण सामने है जब 2009-2010 में फैली फ्लू महामारी से इम्यूनिटी के लिए बड़े पैमाने पर वैक्सीन तब मिले थे जबकि महामारी पीक पर पहुंच गई थी। अध्ययन ने अनुमान लगाया है कि वैक्सीन शॉट्स के कारण अकेले अमेरिका में 15 लाख मामलों पर काबू पाया गया था।