स्पेशल ट्रेनों में टिकट मिलना मुश्किल, बुकिंग खुलते ही मिनटों में फुल हो रही हैं सीटें


नई दिल्ली
झारखंड में देवघर के रहने वाले सिद्धार्थ नाथ की मां को कैंसर है। वह लॉकडाउन से पहले ही मां का इलाज कराने दिल्ली आए थे और यही फंस गए। लॉकडाउन के बाद जबसे हावड़ा राजधानी स्पेशल ट्रेन चली है, तभी से हर रोज उसमें टिकट बुकिंग का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अभी तक सफल नहीं हो पाए हैं। एक दिन तो ऐसा हुआ कि उन्होंने पैसेंजर लिस्ट भर दिया, पैसे के भुगतान के लिए बैंक से ओटीपी आ गई। यहां तक कि पैसा भी कट गया लेकिन सीट नहीं मिली क्योंकि सारी सीटें भर चुकी थीं। यह सब वाकया बुकिंग खुलने से तीन मिनट के भीतर का है। सिर्फ सिद्धार्थ नाथ ही नहीं, ऐसे हजारों लोग हैं जो कि रोज सुबह 8.00 बजे लॉग इन कर बैठ जाते हैं, इस आस में कि आज उन्हें सीट मिल जाए। लेकिन वे हर रोज निराश हो रहे हैं।


एक साथ करते हैं लाखों यूजर लॉग इन
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अभी उन्हें ही सीटें मिल रही हैं, जिनका सिस्टम लेटेस्ट है और डाटा कनेक्शन बहुत ही तेज है। होता यह है कि जैसे ही सुबह बुकिंग खुलती है, लाखों यूजर एक साथ लॉग इन कर टिकट कटाने की कोशिश करते हैं। लेकिन उनमें से बहुत कम को ही टिकट मिल पाता है क्योंकि एक ट्रेन में सीटें तो करीब 1000 है जबकि उसके दावेदार कई हजार।


क्यों नहीं मिल रही हैं सीटें
रेल मंत्रालय की कंपनी इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (IRCTC) के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यह तो डिमांड एंड सप्लाई का खेल है। जब सामान्य दिन था एक दिन में औसतन 11000 ट्रेनों के लिए एडवांस रिजर्वेशन पीरियड या एआरपी बुकिंग खुलती थी। उसमें हर कोई को किसी न किसी ट्रेन में बुकिंग मिल ही जाती थी। अभी महज 15 जोड़ी ट्रेनों की ही एआरपी खुल रही है। ऐसे में सभी यात्रियों का जोर इन्हीं ट्रेनों पर है। लोग सोचते हैं कि उनके घर के स्टेशन के लिए ट्रेन नहीं है तो आस पास 100—200 किलोमीटर के दायरे में जहां का टिकट मिले ले लें। वहां से सड़क मार्ग से अपने घर पहुंच जाएंगे।


इस्टर्न यूपी और बिहार होकर जाने वाली ट्रेनों में ज्यादा है दवाब
अधिकारी का कहना है कि इस समय जो राजधानी स्पेशल पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार—झारखंड होकर गुजरती हैं, उनमें ज्यादा दवाब है। इन गाड़ियों में नई दिल्ली-पटना राजधानी स्पेशल, नई दिल्ली-हावड़ा राजधानी स्पेशल, नई दिल्ली-डिब्रूगढ़ राजधानी स्पेशल और नई दिल्ली-अगरतला राजधानी स्पेशल जैसी ट्रेनें हैं।


जाना कहीं, टिकट ले रहे हैं कहीं और का
इस तरह का मामला देखने को आया है कि बीच के स्टेशनों के लिए बुकिंग की कम सीटें उपलब्ध होने पर यात्री अंतिम स्टेशन का टिकट ले रहे हैं। उदाहरण के लिए पटना के पास धनरुआ में रहने वाले अनीश को पटना जाना था और उन्हें पटना राजधानी स्पेशल में टिकट नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने नई दिल्ली—अगरतला राजधानी स्पेशल में दिल्ली से अगरतला का टिकट सर्च करके देखा। वहां टिकट उपलब्ध था तो उन्होंने वहां तक का टिकट बुक करा लिया।