सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जिन अस्पतालों को मुफ्त में जमीन मिली, वे मरीजों का इलाज भी मुफ्त में करें; सरकार ऐसे अस्पतालों की पहचान करे



ये तस्वीर ठाणे के सिविल अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों की है। देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 1.5 लाख के पार पहुंच गया है।


नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सरकार से कहा कि ऐसे प्राइवेट अस्पतालों की पहचान करें जहां कोरोना के मरीजों को फ्री या मामूली खर्चे पर इलाज मिल सके। कोर्ट ने कहा कि जिन अस्पतालों को फ्री में या फिर बहुत कम रेट पर जमीन मिली है उन्हें कोरोना के मरीजों का इलाज भी मुफ्त में करना चाहिए।


याचिकाकर्ता ने कहा- कई प्राइवेट अस्पताल आर्थिक शोषण कर रहे
प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना ट्रीटमेंट के खर्च पर लगाम लगाने की मांग की याचिका एडवोकेट सचिन जैन ने लगाई थी। उनका आरोप है कि कई निजी अस्पताल संकट के समय में भी कोरोना के मरीजों का आर्थिक शोषण कर रहे हैं। जैन का कहना है कि जो प्राइवेट अस्पताल सरकारी जमीन पर बने हैं या चैरिटेबल संस्थान की कैटेगरी में आते हैं, सरकार को उनसे कहना चाहिए कि कम से कम कोरोना के मरीजों का तो जनहित में फ्री या फिर बिना मुनाफा कमाए इलाज करें।


7 दिन बाद अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 30 अप्रैल को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये पॉलिसी मैटर है, इस बारे में सरकार को फैसला लेना था। हम अपना जवाब पेश कर देंगे। अगली सुनवाई 7 दिन बाद होगी।


'जिन गरीबों के पास इंश्योरेंस नहीं, उन्हें भी निजी अस्पतालों में फ्री इलाज मिले'
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से सरकार को ये निर्देश देने की अपील भी की है कि गरीब तबके के कोरोना पीड़ित मरीज प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवाएं तो उनका खर्च सरकार उठाए। जिन गरीबों के पास कोई इंश्योरेंस कवर या आयुष्मान भारत जैसी स्कीम नहीं है उन्हें भी फ्री इलाज मिले। साथ ही जिन गरीबों के पास इंश्योरेंस कवर है, लेकिन इलाज का खर्च रिएंबर्समेंट से ज्यादा होता है तो उसकी भरपाई भी सरकार को करनी चाहिए।