विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का ट्रायल रोका, चीन का हाथ?


नई दिल्ली
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine Trial) का कोविड-19 के मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए अस्थायी तौर पर रोकने का फैसला किया है। एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि इस दवाई से कोरोना मरीजों को फायदा होने के बजाए ज्यादा नुकसान है। WHO के इस फैसले पर सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं और इसे चीन से जोड़ रहे हैं। खास बात ये है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप विश्व संस्था पर चीन की तरफदारी का आरोप लगा चुके हैं।


लैंसेट की रिपोर्ट के बाद फैसला
स्वास्थ्य के क्षेत्र में दुनियाभर के रिसर्च प्रकाशित करने वाली मशहूर पत्रिका द लैंसेट ने शुक्रवार को अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) लेने वाले कोरोना मरीजों के मौत की संख्या HCQ नहीं लेने वाले मरीजों की संख्या में ज्यादा है।
केवल हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के ट्रायल पर ही रोक
WHO ने 17 देशों के 3,500 कोरोना मरीजों को HCQ दवा के ट्रायल के लिए शामिल किया था। विश्व संस्था ने इसे Solidarity Trial का नाम दिया था। इस ट्रायल का मकसद कोविड-19 के इलाज के लिए दवाई ढूंढना था। ट्रायल में शामिल मरीजों पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन या कोविड-19 के इलाज के लिए प्रयोग किए जा रहे तीन और अन्य दवाओं का रैंडमाइज्ड ट्रायल शुरू किया जाता था। लेकिन केवल हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के ट्रायल पर ही रोक लगाई गई है।


चीन की तरफ उठी उंगुली
WHO के इस फैसले के पीछे सोशल मीडिया पर लोग चीन का हाथ बता रहे हैं। क्योंकि बाकी किसी अन्य ड्रग के ट्रायल पर रोक नहीं लगी है बल्कि भारत में बनने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के ट्रायल पर रोक लगी है। नेल्सन एफ सिल्वा नामक एक ट्वीटर यूजर ने लिखा प्रिय राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। चीन ने अपने लैब में कोरोना के इलाज के लिए वैक्सीन की खोज कर ली है। और इसके परिणामस्वरूप WHO ने चीन के आग्रह पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के ट्रायल पर रोक लगा दी है।


7 और स्टडी का अध्ययन करेगा WHO
WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने बताया कि स्टीयरिंग कमिटी की सप्ताहांत बैठक हुई थी। हमने तय किया कि हमें प्रोऐक्टिव होना चाहिए और इसी के तहत हमने अस्थायी तौर पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के ट्रायल पर रोक लगाने का फैसला किया है। अब रिव्यू पैनल कोविड-19 के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का प्रयोग करने वाले ब्रिटेन समेत विश्व में किए गए 7 और स्टडी को देखेगी और यह पता करने कि कोशिश करेगी क्या अन्य जगहों पर भी यही दिक्कत सामने आ रही है?


ट्रंप ने की थी HCQ की वकालत
ध्यान रहे कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसी महीने की शुरुआत में भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर पाबंदी हटाने की मांग की थी। इसी हफ्ते उन्होंने बताया कि वो कोरोना वायरस से बचाव के लिए जिंक (Zinc) के साथ मलेरिया रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ले रहे हैं। इससे पहले अमेरिका सरकार के विशेषज्ञों ने भी कहा था कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस के संक्रमण से होने वाली बीमारी कोविड-19 के इलाज में कारगर नहीं है।


ब्राजील बोला, जारी रखेंगे हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल
इस बीच, ब्राजील ने कहा है कि WHO के HCQ के ट्रायल पर अस्थायी तौर पर रोक लगाने के बाद भी वह कोविड-19 के इलाज के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगाएगा। ट्रंप के तरह ही ब्राजील के राष्ट्रपति ब्राजील के राष्‍ट्रपति जैर बोल्‍सोनारो ने भी कोरोना वायरस के इलाज के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल की वकालत की थी।


लैंसेट ने शोध के हवाले से क्या कहा
बहरहाल, लैंसेट ने कहा कि चूंकि रिसर्च में क्लोरोक्वीन और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन से कोविड-19 मरीजों को फायदा नहीं पहुंचने की बात साबित हो चुकी है, इसलिए अब क्लीनिकल ट्रायल के सिवा इसके इस्तेमाल पर रोक लगनी चाहिए। शोधकर्ताओं से हवाले से लैंसेट ने कहा कि रैंडमाइज्ड ट्रायल और उसके नतीजों की जानकारी तुरंत सामने आनी चाहिए। पत्रिका ने शोधकर्ताओं सी फंक-ब्रेंटानो और जे सलेम की टिप्पणी साझा की। उसने लिखा, 'प्राथमिक रिपोर्टों के साथ आए नतीजों से पता चलता है कि क्लोरोक्वीन और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को अकेले या फिर अझिथ्रोमाइसिन के साथ खाना लाभदायक नहीं है। इसे खाने से अस्पताल में भर्ती कोविड-19 मरीजों को नुकसान हो सकता है।' 
भारत ने दुनिया के कई देशों में भेजी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन
दुनिया में कोरोना का प्रकोप बढ़ने के बाद भारत ने अमेरिका, ब्राजील समेत दुनिया के कई देशों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की खेप भेजी थी। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी को फोन कर इस दवा की मांग की थी। भारत ने अपने कई पड़ोसी देशों को भी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की खेप भेजी थी।


सीमा पर भारत और चीन में तनाव
बता दें कि इस समय लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच जबरदस्त तनाव है। दोनों देशों के सेना आमने-सामने हैं। डोकलाम विवाद के बाद पहली बार दोनों देशों में इतना तनाव देखा जा रहा है। ऐसे में WHO की भारतीय दवाई पर रोक लगाने के फैसले को विशेषज्ञ इससे भी जोड़कर देख रहे हैं।