चीन के कब्जे में भारत का करीब 60 स्क्वैयर किमी', राहुल गांधी ने शेयर किया रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल का लेख


नई दिल्ली
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध को खत्म करने के मकसद से शनिवार को अगले दौर की बातचीत होगी। इससे पहले लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एचएस पनाग ने दावा किया है कि 6 जून की बातचीत में चीन का पलड़ा भारी रहेगा क्योंकि उसने पूर्वी लद्दाख के तीन अलग-अलग इलाकों में भारत के करीब 40 से 60 स्क्वैयर किमी जमीन पर घुसपैठ कर ली है। अब वह भारत के सामने समझौते की ऐसी शर्तें रखने की कोशिश करेगा जिसे मानना भारत के लिए आसान नहीं होगा और, अगर भारत ने शर्तें नहीं मानीं तो चीन सीमित युद्ध भी छेड़ सकता है।

राहुल गांधी ने शेयर किया पनाग का लेख
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और केरल के वायनाड से मौजूदा सांसद राहुल गांधी ने एक न्यूज वेबसाइट पर प्रकाशित सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल के इस आर्टिकल को ट्वीट किया है। राहुल ने लिखा है, 'सभी देशभक्तों को जनरल पनाग का आर्टिकल जरूर पढ़ना चाहिए।' उन्होंने अपने ट्वीट में आर्टिकल की एक पंक्ति भी कोट की है- 'इनकार कोई समाधान नहीं है।' ध्यान रहे कि जनरल पनाग ने 2014 में आम आदमी पार्टी (AAP) जॉइन कर ली थी। वह अभिनेत्री गुल पनाग के पिता हैं।


चीन का पलड़ा भारी: पनाग
बहरहाल, जनरल पनाग ने आर्टिकल में आशंका जताई है कि चूंकि चीन के पास हमारी जमीन है, इसलिए वह विवाद सुलझाने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास भारतीय सीमा में आधारभूत ढांचे का निर्माण कार्य रोकने जैसी कठोर शर्त रख सकता है। उन्होंने लिखा, 'अगर कूटनीति असफल रही तो चीन सीमा पर संघर्ष बढ़ाने या सीमित युद्ध लड़ने तक को तैयार है।' वह आगे कहते हैं कि भारत को यह बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि उसे चीन के मनमानेपन के आगे झुकना नहीं है, भले ही उसकी तरफ से थोपा गया युद्ध ही क्यों नहीं लड़ना पड़े।


पनाग की सलाह- चीन से युद्ध की नौबत आए तो पीछे नहीं हटे भारत
उन्होंने लिखा, 'भारत को सुनिश्चित करना चाहिए कि असीमांकित (अन-डीमार्केटेड) एलएसी पर 1 अप्रैल, 2020 तक की यथास्थिति बहाल हो ताकि चीन सामरिक बढ़त हासिल करने या अपनी मर्जी से भारत को अपमानित करने के लिए भविष्य में इस तरह की जबर्दस्ती नहीं कर पाए। अगर यह कूटनीतिक स्तर पर नहीं हो सकता है तो ताकत के जोर पर जरूर किया जाना चाहिए।'


हकीकत से मुंह मोड़ रही है मोदी सरकार और सेना
जनरल पनाग का मानना है कि मोदी सरकार और सेना ने हकीकत से मुंह मोड़ लिया है। उन्होंने आगे लिखा, 'हालांकि, मोदी सरकार और सेना ने स्पष्ट रणनीति बनाने और पूरे देश को इससे अवगत करवाने की जगह यह मानने से ही इनकार कर दिया है कि भारत की जमीन पर चीनी घुसपैठ हुई है। वो मौजूदा हालात की वजह एलएसी को लेकर दोनों देशों की अलग-अलग धारणा बता रहे हैं।' उन्होंने कहा कि भारतीय जमीन पर चीन के जबर्दस्ती कब्जे को एलएसी को लेकर अलग


एक महीने से तनाव जारी
ध्यान रहे कि पूर्वी लद्दाख के चार अलग-अलग इलाकों में भारत और चीन के सैनिक एक महीने से एक-दूसरे के सामने डटे हुए हैं। 5 मई को दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी जिसमें दोनों तरफ से करीब 250 सैनिक चोटिल हो गए था। तब से इलाके में तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच दोनों देशों के बीच लोकल कमांडर लेवल पर कई दौर की बातचीत हो चुकी है। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए 6 जून को लेफ्टिनेंट जनरल लेवल पर बातचीत होनी है।