कल टकराएगा निसर्ग तूफान / छह साल में गुजरात पर आठ बार चक्रवात का खतरा मंडराया; पांच बार दिशा बदली, तीन बार समुद्र में समाया





चक्रवात निसर्ग को देखते हुए गुजरात में समुद्री तटों के 32 गांवों को अलर्ट कर दिया गया है। राजकोट. इस समय अरब सागर में चक्रवात तूफान निसर्ग का खतरा मंडरा रहा है। गुजरात में इसके भावनगर के समुद्री किनारे पर टकराने की संभावना है। भावनगर के 34 और अमरेली के 24  गांवों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। जिला एवं तहसील स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित कर दिए गए हैं।





6 साल में 8 बार मंडराया खतरा
2014 के बाद गुजरात पर 8 बार चक्रवाती तूफान का खतरा मंडराया है। हर बार गुजरात विनाश से बच गया। इन आठ में से पांच चक्रवातों चपाला, ननौक, अशोबा, सागर और वायु ने अपनी दिशा ही बदल ली और तीन चक्रवात ओखी, निलोफर और महा समुद्र में ही समा गए ।


ननौक (13 जून, 2014)
अरब सागर में वेरावल से 590 किमी की दूरी पर भूमध्य सागर में ननौक चक्रवात का निर्माण हुआ। जिसके बाद राज्य के तटीय इलाकों को अलर्ट घोषित कर दिया गया था, लेकिन तूफान का खतरा गुजरात से टल गया, क्योंकि चक्रवात नानौक ओमान की ओर बढ़ गया।


नीलोफर (29 अक्टूबर, 2014)
2014 में दिवाली के बाद अरब सागर में उच्च वायु दबाव के कारण चक्रवात नीलोफर का निर्माण हुआ था। सौराष्ट्र और कच्छ पर उसके संभावित खतरों पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार और कच्छ प्रशासन पूरी तरह से तैयार था। निलोफर समुद्र में समा गया था। साथ ही यह संदेश भी देता गया कि चक्रवात से किस तरह से बचना चाहिए।


अशोबा (10 जून, 2015)
पूर्व-मध्य अरब सागर में एक गहरे चक्रवात के बाद अशोबा नाम का चक्रवात सामने आया। जो ओमान की ओर जाकर विभाजित हो गया। इस तरह से गुजरात पर खतरा एक बार फिर टल गया।


चपाला चक्रवात (31 अक्टूबर, 2015)
अरब सागर में चपाला चक्रवात का सृजन हुआ था। यह भी ओमान की तरफ चला गया। इससे गुजरात में दिवाली जैसे त्योहार के समय मंडराने वाला खतरा टल गया।


ओखी (4 दिसम्बर, 2017)
तमिलनाडु और केरल में तबाही मचाने के बाद ओखी अरब सागर के रास्ते गुजरात की तरफ बढ़ गया था। पर वह गुजरात पहुंचने के पहले ही बिखर गया।


सागर (17 मई 2018)
गुजरात के तट पर सागर नामक एक चक्रवात का निर्माण हुआ। लेकिन गुजरात पहुंचने से पहले यह यमन की ओर मुड़ गया था। इसलिए गुजरात से खतरा टल गया और प्रशासन ने राहत की सांस ली। अरब सागर में चक्रवात ज्यादातर पाकिस्तान, म्यांमार, बांग्लादेश और ओमान जैसे देशों में जाकर बिखर जाते हैं।


वायु (12 जून 2019)
अरब सागर में आया तूफान सबसे खतरनाक साबित हो रहा था। क्योंकि तट को 120 से 160 की गति से टकराने वाला था। चक्रवात को दीव और वेरावल के बीच तट से टकराना था। लेकिन इसकी दिशा बदल गई और यह यमन की ओर चला गया। इस प्रकार सौराष्ट्र के लोग एक बार फिर चक्रवात के प्रकोप से बच गए।
महा (7 नवंबर, 2019)
अरब सागर में महा चक्रवात के कारण सौराष्ट्र-गुजरात में भारी बारिश हुई। यह चक्रवात दीव और पोरबंदर के बीच धावा बोलने वाला था। मौसम विभाग के अनुसार 7 नवंबर, 2019 की सुबह दीव और पोरबंदर के बीच तूफान आने की आशंका थी, लेकिन इस दौरान तूफान की गति 70 से 80 किमी प्रति घंटे तक कम हो जाएगी, लेकिन 3 मिनट में ही सब कुछ बदल गया और एक भयानक तूफान का खतरा टल गया। वह अरब सागर में कमजोर हो गया समुद्र में समा गया।


खतरनाक चक्रवात में तब्दील होता निसर्ग
अरब सागर में तूफान निसर्ग अब खतरनाक साइक्लोन में तब्दील होता दिखाई दे रहा है। सूरत जिले समेत दक्षिण गूजरात में 70 से 90 किलोमीटर की गति से तेज हवाएं चलने की संभावना है। इसे देखते हुए प्रशासन सतर्क हो गया है। लोगों को इस संकट से उबारने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।


दक्षिण गुजरात में असर होगा
सूरत से 900 किमी दूर अरब सागर में बनने वाला तूफान अगले 24 घंटों में चक्रवाती तूफान के रूप में विकसित हो जाएगा। दो जून की रात को इसके दमन और महाराष्ट्र के हरिहरेश्वर रायगढ़ के बीच से गुजरने की संभावना है। इसका असर दक्षिण गुजरात पर भी होगा।


2-3 जून को कई स्थानों पर तेज बारिश
सूरत जिले में 3 जून की शाम को 70 से 90 किमी की गति से तेज हवाएं चलने का अनुमान है। मछुआरों को 4 जून तक समुद्र में नहीं जाने का आदेश दिया गया है। सूरत में एडीआरएफ और एसडीआरएफ की एक-एक टीम तैनात कर दी गई है। चक्रवात को ध्यान में रखते हुए सूरत के जिला कलेक्टर ने मछुआरों को वापस बुला लिया है। इसके अलावा डुमस, सुवाली, डभारी के समुद्री तटों पर लोगों के जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।


32 गांवों को अलर्ट किया गया
संभावित परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए जिला कलेक्टर ने समुद्री तटों पर आने वाले 32 गांवों को अलर्ट कर दिया है। इसमें ओलपाड के 21, चोर्यासी के 7 और मजूरा के 4 गांव शामिल हैं। इसके अलावा शेल्टर होम की व्यवस्था की गई है। लोगों से कहा गया है कि वे घर से बाहर न निकलें। निचली बस्तियों के कच्चे मकानों में रहने वालों को शेल्टर होम जाने को कहा गया है। इसके अलावा लोगों से अपील की गई है कि वे बिजली के खंभे, होर्डिंग्स, वृक्ष तथा जर्जर मकानों से दूर रहें।