नई दिल्ली
इन दिनों ज्यादातर हेल्थ केयर वर्कर्स पीपीई पहने ही दिखाई दे रहे हैं। इलाज के वक्त कोरोना से बचाव के लिए पीपीई पहनना जरूरी है लेकिन इस गर्मी में उन्हें पीपीई से कई तरह की स्किन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसमें लालिमा, स्किन का निकलना और दाने होने जैसी समस्याएं शामिल हैं।
डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. हितेश का कहना है कि कोरोना के समय में ही कई देशों में उन हेल्थकेयर वर्कर्स पर स्टडी की गई, जो लगातार एक से दो महीने तक पीपीई किट पहन रहे थे। सभी देशों की स्टडी में पाया गया कि पीपीई किट पहनने वाले एक तिहाई हेल्थ केयर वर्कर्स में दानों (एक्ने) की समस्या पाई गई। साथ ही लालिमा, स्किन निकलना भी पाया गया। यह पीपीई किट के हाइपर हाइड्रेशन इफेक्ट के चलते हुआ है। जलन, खुजली, चुभन आदि इसके लक्षण हैं। डॉ. हितेश का कहना है चूंकि गर्मी बढ़ रही है इसलिए देश में पीपीई किट पहनकर काम करने वाले हेल्थ केयर वर्कर्स में भी ऐसी समस्याएं आने वाले समय में हो सकती हैं।
मरीजों को भी समस्या
डॉक्टरों का कहना है कि इटली में कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर भी स्टडी हुई, जिसमें पता चला कि 20.4 प्रतिशत पॉजिटिव मरीजों में लाल दाने और चिकनपॉक्स जैसे छोटे-छोटे दाने पाए गए। हालांकि यह चिकनपॉक्स नहीं था, बस उसकी तरह दिखने वाले कुछ दाने थे। यह ज्यादातर छाती और हिप्स पर पाए गए थे। ऐसे में हो सकता है कि भारत में भी पॉजिटिव मरीजों को ऐसी समस्या हो रही हो।
उनका कहना है कि सबसे ज्यादा असर ग्लव्स, सुरक्षात्मक चश्मों और मास्क की वजह से पड़ रहा है। हेल्थ केयर वर्कर्स लगातार 8 से 10 घंटे तक इन चीजों को पहन कर रखते हैं। इसके चलते ग्लब्स के पाउडर की वजह से हाथों की चमड़ी उतरने लगती है। चश्में और मास्क की वजह से खुजली और दाने जैसी समस्या होने लगती हैं।